आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवक कम होने से इसकी कीमतों में 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई है। सूत्रों के अनुसार कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने कपास के बिक्री भाव बढ़ाये हैं, जिस कारण हल्का सुधार और भी बन सकता है।
सूत्रों के अनुसार सीसीआई ने पिछले एक महीने में करीब 9 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास की बिक्री की है जिसमें करीब 1.5 लाख गांठ पिछले साल यानि फसल सीजन 2018-19 की कपास है। कंपनी का दावा है कि मिलों की मांग सुधर रही है और साथ ही वह वियतनाम और बांग्लादेश के साथ निर्यात सौदे कर रही है, साथ ही उसे बांग्लादेश के लिए बड़ा निर्यात सौदा होने की उम्मीद है। जिससे घरेलू बाजार में कपास की कीमतों में हल्का सुधार और भी बन सकता है।
बांग्लादेश में सालाना करीब 90 लाख गांठ कपास की जरूरत होती है, जिसमें से 30 लाख गांठ कपास भारत से जाती है। सीसीआई के सीएमडी पी के अग्रवाल के मुताबिक बांग्लादेश के लिए भारतीय कपास सबसे सस्ती है तथा निगम के पास इस समय करीब 105 लाख गांठ कपास का स्टॉक है जिसमें से 98 लाख गांठ की खरीद चालू सीजन के दौरान की गई है जबकि अन्य करीब 7 लाख गांठ पिछले सीजन का बचा हुआ है। फिलहाल महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कपास की खरीद जारी थी जोकि 31 जुलाई को बंद हो गई है।
निगम के अनुसार मंडियों में अब कपास की आवक काफी कम हो गई है। पी के अग्रवाल कहना है कि लॉकडाउन में छूट के साथ मिलों में मजदूरों की वापसी शुरू हो गई है। जिससे आने वाले दिनों में कपास की मांग में बढ़ोतरी तो दिख सकती है, जिससे हल्का सुधार भी आयेगी, लेकिन अगस्त के अंत तक उत्तर भारत की मंडियों में नई कपास की आवक शुरू हो जायेगी, जबकि सितंबर में गुजरात, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में नई फसल आयेगी। चालू सीजन में उत्पादन अनुमान ज्यादा है, इसलिए हल्का सुधार तो आ सकता है, लेकिन बड़ी तेजी की संभावना नहीं है। कोरोना वायरस के कारण मांग में कमी आने से विश्व बाजार में कपास की कीमतें नीचले स्तर पर पहुंच गई है जबकि घरेलू बाजार में भी इसकी कीमतों में गिरावट आई है। इसलिए सीसीआई भाव घटाकर बिकवाली कर रही थी। ................ आर एस राणा
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