आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण पिछले तीन-चार महीनों से कपास की खपत में आई कमी के साथ ही कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) के बंपर स्टॉक एवं बुआई में हुई बढ़ोतरी का असर इसकी कीमतों पर पड़ रहा है। अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कपास का भाव 34,000 से 35,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) चल रहे हैं तथा मौजूदा कीमतों हल्का सुधार तो आ सकता है लेकिन बड़ी तेजी की संभावना नहीं है।
सीसीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि निगम ने पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए फसल सीजन में करीब 100 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास की खरीद की है, इसके अलावा महाराष्ट्र में भी राज्य सरकार की एजेंसियों ने भी खरीद की है, अत: उनके पास भी स्टॉक है। उन्होंने बताया कि सीसीआई बंगलादेश, चीन, वियतनाम और इंडोनेशिया को निर्यात की संभावना तलाश रहा है, लेकिन कोरोना वायरस के विश्व बाजार में कपास की मांग कम हुई है जिस कारण निर्यात सौदे भी सीमित मात्रा में ही हो रहे हैं। निगम घरेलू बाजार में कपास की बिकवाली भाव घटाकर कर रहा है तथा पहली अक्टूबर से नया सीजन शुरू हो जायेगा, ऐसे में माना जा रहा है कि निगम के पास बकाया स्टॉक ज्यादा बेचगा।
अहमदाबाद के कपास कारोबारी ने बताया कि लॉकडाउन के समय में यार्न मिलें बंद होने के कारण कपास की खपत में कमी आई थी। इस समय लॉकडाउन तो समाप्त गया है, लेकिन मांग में कमी के साथ ही प्रवासी मजदूरों की कमी के कारण मिलें 40 से 60 फीसदी की क्षमता से ही कार्य कर पा रही है, जिस कारण इस समय भी कपास की खपत सामान्य से कम हो रही है। वैसे भी चालू फसल सीजन में कपास का उत्पादन पिछले साल के 312 लाख गांठ से बढ़कर 330 लाख गांठ होने का अनुमान है। इसलिए कपास की कीमतों में तेजी की उम्मीद नहीं है। आयातित कपास के भाव 42,000 रुपये प्रति कैंडी है, ऐसे में विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार कपास की बुआई चालू खरीफ में 34.89 फीसदी बढ़कर 104.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 77.71 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में इसकी बुआई 38.03 लाख हेक्टेयर में, गुजरात में 18.25 लाख हेक्टेयर में, तेलंगाना 18.22 लाख हेक्टेयर में, राजस्थान 6.51, पंजाब 5.01, मध्य प्रदेश 5.87 और हरियाणा में 7.37 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है। महाराष्ट्र के साथ ही तेलंगाना में बुआई पिछले साल की तुलना में भारी बढ़ोतरी हुई है जबकि गुजरात में पिछले साल के लगभग बराबर ही है।............... आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण पिछले तीन-चार महीनों से कपास की खपत में आई कमी के साथ ही कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) के बंपर स्टॉक एवं बुआई में हुई बढ़ोतरी का असर इसकी कीमतों पर पड़ रहा है। अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कपास का भाव 34,000 से 35,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) चल रहे हैं तथा मौजूदा कीमतों हल्का सुधार तो आ सकता है लेकिन बड़ी तेजी की संभावना नहीं है।
सीसीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि निगम ने पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए फसल सीजन में करीब 100 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास की खरीद की है, इसके अलावा महाराष्ट्र में भी राज्य सरकार की एजेंसियों ने भी खरीद की है, अत: उनके पास भी स्टॉक है। उन्होंने बताया कि सीसीआई बंगलादेश, चीन, वियतनाम और इंडोनेशिया को निर्यात की संभावना तलाश रहा है, लेकिन कोरोना वायरस के विश्व बाजार में कपास की मांग कम हुई है जिस कारण निर्यात सौदे भी सीमित मात्रा में ही हो रहे हैं। निगम घरेलू बाजार में कपास की बिकवाली भाव घटाकर कर रहा है तथा पहली अक्टूबर से नया सीजन शुरू हो जायेगा, ऐसे में माना जा रहा है कि निगम के पास बकाया स्टॉक ज्यादा बेचगा।
अहमदाबाद के कपास कारोबारी ने बताया कि लॉकडाउन के समय में यार्न मिलें बंद होने के कारण कपास की खपत में कमी आई थी। इस समय लॉकडाउन तो समाप्त गया है, लेकिन मांग में कमी के साथ ही प्रवासी मजदूरों की कमी के कारण मिलें 40 से 60 फीसदी की क्षमता से ही कार्य कर पा रही है, जिस कारण इस समय भी कपास की खपत सामान्य से कम हो रही है। वैसे भी चालू फसल सीजन में कपास का उत्पादन पिछले साल के 312 लाख गांठ से बढ़कर 330 लाख गांठ होने का अनुमान है। इसलिए कपास की कीमतों में तेजी की उम्मीद नहीं है। आयातित कपास के भाव 42,000 रुपये प्रति कैंडी है, ऐसे में विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार कपास की बुआई चालू खरीफ में 34.89 फीसदी बढ़कर 104.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 77.71 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में इसकी बुआई 38.03 लाख हेक्टेयर में, गुजरात में 18.25 लाख हेक्टेयर में, तेलंगाना 18.22 लाख हेक्टेयर में, राजस्थान 6.51, पंजाब 5.01, मध्य प्रदेश 5.87 और हरियाणा में 7.37 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है। महाराष्ट्र के साथ ही तेलंगाना में बुआई पिछले साल की तुलना में भारी बढ़ोतरी हुई है जबकि गुजरात में पिछले साल के लगभग बराबर ही है।............... आर एस राणा
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