आर एस राणा
नई दिल्ली। उद्योग ने चालू सीजन में कपास के उत्पादन अनुमान में साढ़े पांच लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) की बढ़ोतरी कर कुल उत्पादन 335.50 लाख गांठ का जारी किया है जबकि इससे पहले 330 लाख गांठ उत्पादन होने का अनुमान था।
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार चालू सीजन में 335.50 लाख गांठ कपास के उत्पादन का अनुमान है जोकि पिछले साल के 312 लाख गांठ से ज्यादा है। चालू फसल सीजन 2019-20 में गुजरात में कपास के उत्पादन का अनुमान 85 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 80 लाख गांठ, मध्य प्रदेश में 16.50 लाख गांठ, तेलंगाना में 51 लाख गांठ, आंध्रप्रदेश में 14.25 लाख गांठ, कर्नाटक में 18.75 और तमिलनाडु में पांच लाख गांठ का उत्पादन होने की उम्मीद है। इसके अलावा उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में 60 लाख गांठ तथा ओडिशा एवं अन्य राज्यों में कुल पांच लाख गांठ का उत्पादन होने का अनुमान है।
30 जून तक उत्पादक मंडियों में 327.02 लाख गांठ कपास की हो चुकी है आवक
सीआईए के अनुसार चालू सीजन में 30 जून तक उत्पादक मंडियों में 327.02 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है। पहली अक्टूबर 2019 को शुरू हुए चालू सीजन में 32 लाख गांठ कपास का बकाया स्टॉक था, जबकि चालू सीजन में 15 लाख गांठ आयात को मिलाकर कुल उपलब्धता 382.50 लाख गांठ की बैठेगी। देश में कपास की खपत 280 लाख गांठ की होने का अनुमान है, जबकि करीब 47 लाख गांठ कपास के निर्यात का अनुमान है। ऐसे में आगामी सीजन पहली अक्टूबर 2020 को कपास का बकाया स्टॉक बढ़कर 50.55 लाख गांठ का बचेगा।
सीसीआई के पास कपास का स्टॉक ज्यादा
कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) ने चालू सीजन में 100 लाख गांठ से कपास की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की है, इसके अलावा महाराष्ट्र में राज्य सरकार की एजेंसियों ने भी किसानों से करीब 15 लाख गांठ की खरीद की थी। इस समय सीसीआई 35,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) की दर से कपास की बिकवाली कर रही है, जबकि चालू खरीफ में कपास की बुआई में बढ़ोतरी हुई है। इसलिए घरेलू बाजार में कपास की कीमतों में 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी तो आ सकती है लेकिन बड़ी तेजी की संभावना नहीं है। सीसीआई कपास के निर्यात को बढ़ाने के लिए बंगलादेश के साथ ही अन्य देशों की सरकारो से बातचीत कर रही है।
बुआई में हुई बढ़ोतरी
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर 118.03 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल के 96.35 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।
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