नई दिल्ली। देश में कृषि उत्पादों के सबसे बड़ा सहकारी विपणन संगठन-नेफेड के पास चना समेत तमाम दलहनों का पर्याप्त भंडार है और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत मुफ्त वितरण के लिए चने की कोई कमी नहीं है।
नेफेड के प्रबंध निदेशक संजीव चड्ढा के अनुसार एजेंसी के पास इस समय दलहनों का 45 लाख टन का भंडार है, जिसमें चना सबसे ज्यादा करीब 30-32 लाख टन है। चड्ढा ने कहा कि मुफ्त वितरण योजना के लिए करीब 10-12 लाख टन चने की जरूरत होगी जबकि भंडार काफी अधिक है और नेफेड चने का पुराना स्टॉक खुले बाजार में बेच रही है। उन्होंने बताया कि चालू रबी सीजन में करीब 23 लाख टन चना नेफेड ने किसानों से खरीदा है और अभी खरीद चल रही रही है। हालांकि खरीद आखिरी चरण में है।
उनका कहना है कि नेफेड कुल उत्पादन का करीब 25 फीसदी चना किसानों से खरीदती है। हालांकि यह आंकड़ा इस समय कम है क्योंकि तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार देश में 2019-20 के दौरान चने का उत्पादन करीब 109 लाख टन है। चड्ढा ने कहा, हमने चने का पुराना स्टॉक बेचना भी शुरू कर दिया है। करीब दो साल पुराना करीब 1.5 लाख टन चना बेचने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, हालांकि इस समय बिक्री की दर थोड़ी सुस्त है।
उन्होंने कहा कि नेफेड के पास दालों का स्टॉक इस समय करीब 45 लाख टन है, जिसमें चना 30-32 लाख, तुअर करीब आठ लाख टन, उड़द करीब दो-तीन लाख टन और बांकी मूंग का स्टॉक है। चड्ढा ने कहा कि दहलनों का इस समय पर्याप्त स्टॉक है। कोरोना काल में देश के 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज और दाल मुहैया करवाने के लिए शुरू की गई योजना (पीएमजीकेएवाई) के पहले चरण में अप्रैल से जून तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत आने वाले सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के प्रत्येक लाभार्थी के लिए पांच किलो अनाज (गेहू/चावल) और राशन कार्डधारक प्रत्येक परिवार के लिए एक किलो दाल देने का प्रावधान सरकार ने किया है।
इस योजना की अवधि पांच महीने बढ़ाकर नवंबर तक कर दी गई है और योजना के दूसरे चरण में प्रत्येक परिवार को दाल की जगह साबूत चना देने का प्रावधान है, जिसके लिए जुलाई से नवंबर तक पांच महीनों के लिए 9.70 लाख टन चने की जरूरत होगी। आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत भी 39,000 टन साबूत चने के मुफ्त वितरण का प्रावधान किया गया है। पीएमजीकेएवाई-1 के तहत 5.88 लाख टन दाल के मुफ्त वितरण किया गया था।
नेफेड के प्रबंध निदेशक संजीव चड्ढा के अनुसार एजेंसी के पास इस समय दलहनों का 45 लाख टन का भंडार है, जिसमें चना सबसे ज्यादा करीब 30-32 लाख टन है। चड्ढा ने कहा कि मुफ्त वितरण योजना के लिए करीब 10-12 लाख टन चने की जरूरत होगी जबकि भंडार काफी अधिक है और नेफेड चने का पुराना स्टॉक खुले बाजार में बेच रही है। उन्होंने बताया कि चालू रबी सीजन में करीब 23 लाख टन चना नेफेड ने किसानों से खरीदा है और अभी खरीद चल रही रही है। हालांकि खरीद आखिरी चरण में है।
उनका कहना है कि नेफेड कुल उत्पादन का करीब 25 फीसदी चना किसानों से खरीदती है। हालांकि यह आंकड़ा इस समय कम है क्योंकि तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार देश में 2019-20 के दौरान चने का उत्पादन करीब 109 लाख टन है। चड्ढा ने कहा, हमने चने का पुराना स्टॉक बेचना भी शुरू कर दिया है। करीब दो साल पुराना करीब 1.5 लाख टन चना बेचने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, हालांकि इस समय बिक्री की दर थोड़ी सुस्त है।
उन्होंने कहा कि नेफेड के पास दालों का स्टॉक इस समय करीब 45 लाख टन है, जिसमें चना 30-32 लाख, तुअर करीब आठ लाख टन, उड़द करीब दो-तीन लाख टन और बांकी मूंग का स्टॉक है। चड्ढा ने कहा कि दहलनों का इस समय पर्याप्त स्टॉक है। कोरोना काल में देश के 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज और दाल मुहैया करवाने के लिए शुरू की गई योजना (पीएमजीकेएवाई) के पहले चरण में अप्रैल से जून तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत आने वाले सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के प्रत्येक लाभार्थी के लिए पांच किलो अनाज (गेहू/चावल) और राशन कार्डधारक प्रत्येक परिवार के लिए एक किलो दाल देने का प्रावधान सरकार ने किया है।
इस योजना की अवधि पांच महीने बढ़ाकर नवंबर तक कर दी गई है और योजना के दूसरे चरण में प्रत्येक परिवार को दाल की जगह साबूत चना देने का प्रावधान है, जिसके लिए जुलाई से नवंबर तक पांच महीनों के लिए 9.70 लाख टन चने की जरूरत होगी। आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत भी 39,000 टन साबूत चने के मुफ्त वितरण का प्रावधान किया गया है। पीएमजीकेएवाई-1 के तहत 5.88 लाख टन दाल के मुफ्त वितरण किया गया था।
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