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27 जुलाई 2020

मानसून सीजन के पहले दो महीनों में देशभर के 200 जिलों में सामान्य से कम हुई बारिश

आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसून सीजन के पहले दो महीने पहली जून से 27 जुलाई तक देशभर में सामान्य से दो फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई है, लेकिन इस दौरान राज्यवार देखे तो देशभर के करीब 200 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है, जिसका असर खरीफ की फसलों पर पड़ने की आशंका है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में अभी तक फसलों की बुआई पिछले साल की तुलना में 18.50 फीसदी आगे चल रही है लेकिन बुआई के बाद बारिश की कमी का असर आगे फसलों पर पड़ने की आशंका है। गुजरात, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ ही हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के जिलों में सामान्य से कम बारिश चिंता का विषय है।
गुजरात में आनंद, बनासकांठा और भरूच समेत 18 जिलों में सामान्य से बेहद कम बारिश हुई है। जिनमें खास करके नर्मदा, नवसारी, दाहौद और तापी में स्थिति ज्यादा चिंताजनक है। जहां बारिश की कमी 50 फीसदी से ज्यादा है। हालांकि राज्य के सौराष्ट्र और कच्छ के इलाकों में इस साल अच्छी बारिश हुई है। यहां ज्यादातर कपास और मूंगफली की खेती होती है, जिसमें से किसानों ने इस साल मूंगफली की बुआई पर ज्यादा जोर दिया है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सामान्य से कम हुई है बारिश
धान और गन्ने की खेती वाले राज्य भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के 30 जिलों में बारिश को लेकर चिंताजनक स्थिति है। इसमें भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश को लेकर चिंता ज्यादा है। जहां इस बार सबसे कम बारिश हुई है। राज्य के बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, ज्योतिबाफूले नगर और मथुरा में बारिश की 60 फीसदी से ज्यादा कमी है और सूखे जैसै हालात हो गए हैं। यहां उड़द और मूंगफली की खेती वाले ललितपुर और झांसी जैसे जिलों में भी सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है। हालांकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में हालात बेहतर हैं।
राजस्थान के कई जिलों में फसलें प्रभावित होने की आशंका
खरीफ की खेती के​ लिहाज से एक और राज्य राजस्थान के भी करीब 22 जिलों में बारिश की कमी देखी जा रही है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राज्य के टोंक, सिरोही और बुंदी जिलों में बारिश में 50 फीसदी से ज्यादा की कमी है। वहीं भीलवाड़ा, बीकानेर, अलवर और सवाईमाधोपुर जैसे इलाकों में 40-50 फीसदी तक कम बारिश हुई है। राज्य में मुख्य रुप से कपास, ग्वार, उड़द, मूंग, मूंगफली, सोयाबीन, बाजरा और ज्वार की खेती होती है। राजस्थान में खरीफ की खेती के लिहाज से जैसलमेर, बीकानेर और बाड़मेर अहम हैं। इन जिलों में कम बारिश से खरीफ की पैदावार पर ज्यादा असर पड़ेगा, जिसका असर खासकर के बाजरा, ग्वार और मोठ की फसल पर पड़ने की आशंका है।
हरियाणा और पंजाब के कई जिलों में सामान्य से कम हुई है बारिश
धान और कपास की खेती वाले दो राज्यों पंजाब और हरियाणा के कुछ जिलों में इस साल बारिश की कमी देखी जा रही है। पंजाब में खास तौर से होशियारपुर, जालंधर, मानसा, रुपनगर और तरणतारण में बेहद कम बारिश हुई है। माना जा रहा है कि बारिश में और दिक्कत हुई तो धान के साथ कपास की खेती भी प्रभावित हो सकती है। हरियाणा के पंचकूला समेत 8 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। जिनमें अकेले पंचकूला में बारिश में 60 फीसदी से ज्यादा की कमी है। हालांकि राज्य में ग्वार की खेती वाले प्रमुख इलाके हिसार आदि में अच्छी बारिश हुई है।
मध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल को बारिश की जरुरत
सोयाबीन और कपास के साथ उड़द और तुअर की खेती वाले मध्य प्रदेश के 13 जिलों इस साल कम बारिश हुई है। खास करके अलीराजपुर, भिंड, ग्वालियर, छत्तरपुर, और जबलपुर जहां उड़द की खेती प्रमुख रुप से होती है, में बारिश कम है। साथ ही सोयाबीन, कपास और मक्के की खेती वाले होशंगाबाद और मंदसौर की भी स्थिति नाजुक है। श्योपुर और शिवपुरी में भी कम बारिश रिकॉर्ड हुई है। हालांकि महाराष्ट्र में नंदुरबार, सतारा, गोंदिया और अकोला समेत महज 5 राज्यों में ही बारिश कम हुई है। मध्य प्रदेश ओर महाराष्ट्र में सोयाबीन की खेती वाले इलाकों में अब बारिश की जरुरत है, देरी होने पर पैदावार पर असर पड़ सकता है।............. आर एस राणा

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