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16 जुलाई 2020

उद्योग का सुझाव, सरकार 500 रुपये सस्ता गेहूं बेच कर 9,000 करोड़ रुपये बचा सकती है

आर एस राणा
नई दिल्ली। आटा मिल मालिकों ने केंद्र सरकार से खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत थोक ग्राहकों को बेचे जाने वाले गेहूं के बिक्री भाव में 500 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती करने का सुझाव दिया है। उद्योग का तर्क है कि इस कदम से केंद्रीय पूल से 60 लाख टन गेहूं की बिक्री हो जायेगी, जिससे रख रखाव के खर्च करीब 9,000 करोड़ रुपये की बचत होगी।
भारतीय रोलर फ्लोर मिल्स एसोसिएशन (आरएफएमएफ) ने कहा कि अगर सरकार कीमतों में कटौती करती है तो इसका लाभ उपभोक्ताओं को मिलेगा। उपभोक्ताओं को रोलर फ्लोर मिलें सस्ता आटा, मैदा एवं सूजी बेचेंगी। उन्होंने गेहूं के पोषक तत्वों से समृद्ध किये गये आटे के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में भी छूट दिये जाने की भी मांग की है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास पहली जून को 558.25 लाख टन गेहूं का भारी भरकम स्टॉक जमा है जोकि तय मानकों से काफी ज्यादा है। बाजार में कीमत कम होने के कारण ओएमएसएस के तहत गेहूं का उठाव नहीं के बराबर हो रहा है, इसलिए मिलों ने भाव में कटौती का प्रस्ताव सरकार को दिया है।
आरएफएमएफ के अध्यक्ष, संजय पुरी ने एक डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ओएमएसएस के तहत दी जाने वाली गेहूं की कीमतें, खुले बाजार की कीमतों और यहां तक ​​कि आयातित गेहूं की दरों की तुलना में बहुत अधिक हैं। यदि ओएमएसएस के तहत बिक्री दर 500 रुपये प्रति क्विंटल घटाकर 1,635 रुपये कर दी जाए, तो आटा मिलें, लगभग 60 लाख टन गेहूं का एफसीआई से उठाव करेंगी। इस समय ओएमएसएस के तहत गेहूं का बिक्री भाव 2,080 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि दिल्ली के लारेंस रोड़ पर गेहूं का भाव 1,950 से 1,970 रुपये प्रति क्विंटल है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूं का भाव 1,750 से 1,850 रुपये प्रति क्विंटल है। ................ आर एस राणा

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