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06 जुलाई 2020

देश भर के किसानों ने ट्वविटर पर उठाया कर्ज मुक्ति और बेहतर दाम का मुद्दा

आर एस राणा
नई दिल्ली। देशभर के किसानों ने आज ट्वविटर पर संपूर्ण कर्जा मुक्ति के साथ ही फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का मुद्दा उठाया। ​कोरोना वायरस जैसी महामारी के संकट में देश के लोगों का पेट भरने वाले किसानों को चना, मूंग, अरहर, उड़द, गेहूं, कपास, बाजरा, मक्का, जौ तथा सोयाबीन आदि की बिकवाली न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे दाम पर करनी पड़ रही है। साथ ही सरकार द्वारा घोषित 20 हजार करोड़ रुपये के पैकेज में से भी किसानों के हिस्से कुछ नहीं आया है।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) एवं राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि हमारी केंद्र और राज्य सरकारों से मांग है कि एमएसपी से कम भाव पर खरीद को अवैध ठहराओ, तथा एमएसपी से कम पर खरीदने वाले को जेल भेजा जाए। अत: एमएसपी पर खरीद की गारंटी सुनिश्चित करो। आज किसानों पर कर्जा एमएसपी पर खरीद न होने के कारण हो रहा है। वीएम सिंह ने सवाल उठाते हुए कहा कि मनमोहन सरकार ने 2008-09 में गेंहू के एमएसपी में 200 रुपये बढ़ाकर A2 से A2+FL किया था तो आज मोदी सरकार ने भी MSP A2+FL दिया तो क्या दिया?
देश के 80 फीसदी किसान दूध पर निर्भर हैं, इसलिए एमएसपी तय हो
उन्होंने कहा कि किसान को बचाने लिए सरकार को दूध का एमएसपी तय करने के साथ ही देना भी अनिवार्य करना होगा। देश के 80 फीसदी किसान दूध पर निर्भर हैं ओर कोरोना वायरस के समय में भाव न मिलने के कारण बुरी तरह से घाटा उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि खेती को अगर मुनाफे का सौदा बनाना है, तो संपूर्ण कर्जा मुक्ति के साथ ही किसानों को न्यूनतम सम​र्थन मूल्य देना ही होगा।
कृषि उद्योग को देहात में लगाना होगा, जिसका लाभ किसान ओर मजदूर दोनों को मिले
उन्होंने कहा कि मोदी जी अपना 2014 चुनाव का वायदा निभाओ, हमें C2+50 फीसदी एमएसपी दो। उन्होंने कहा कि यदि अर्थव्यवस्था को सम्भालना है तो किसान को खड़ा करना होगा। कृषि उद्योग को देहात में लगाना होगा, जिसका लाभ किसान ओर मजदूर दोनों को मिले। उन्होंने कहा कि किसानों ने हर विषम परिस्थितियों में अपने कर्तव्य को पूर्ण किया है इसलिए किसानों के प्रति सरकार अपना वायदा पूरा करे।
जब पूंजीपतियों का ऋण बट्टे खाते में जा सकता है तो फिर किसान के साथ धोखा क्यों
उन्होंने कहा कि पिछले 25 साल में कोर्ट ने कई बार आदेश दिया कि जब तक पूरे गन्ना की पैरोई न हो जाए चीनी मिल बन्द नहीं होगी, लेकिन इसके बावजूद भी चीनी मिल द्वारा पेराई बंद करने के दबाव के कारण बीते दिनों सिसौली के किसान ओमपाल सिंह ने गन्ना न बिकने के ग़म में आत्महत्या कर ली। उन्होंने कहा कि जब पूंजीपतियों का ऋण बट्टे खाते में जा सकता है तो फिर किसान के साथ धोखा क्यों कर रही है सरकार? चीनी पर पहला हक़ किसान का होगा बैंक का नहीं इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी, फिर भी चीनी बिकने पर पैसा बैंक वसूल कर लेता है जिससे किसानों का ब्याज ओर पेनल्टी बढ़ रही हैख् कर्ज बढ़ रहा है, ऐसा क्यों? कोर्ट के 6/8/2012 का आदेश बरकरार रहने के बाद भी इस वर्ष सरकार ने गन्ना किसानों की आरसी काटी, जिससे किसानों पर 10 फसीदी रिकवरी चार्ज लग गया, मुफ्त में कर्जा बढ़ गया।
आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संसोधन से किसान की आय में 1 पैसे का मुनाफा नहीं होने वाला
उन्होंने कहा कि आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संसोधन से किसान की आय में 1 पैसे का मुनाफा नहीं होने वाला तो किसान के सिर पर इसका ठीकरा क्यों फोड़ा जा रहा है। सरकार ने कोरोना महामारी से निकलने के लिए 20 लाख करोड़ का पैकेज घोषित किया है, इस पैकेज में किसान कहाँ है?..........  आर एस राणा

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