आर एस राणा
नई दिल्ली। भारत में रिफाइंड पाम तेल खरीद पर रोक से नेपाली रिफाइनिंग कंपनियां मुश्किल में पड़ गई हैं। भारत के कदम से नेपाल के भंडार पूरी तरह से भर गए हैं जिस कारण उन्हे अब क्रूड पाम तेल की खरीद तक रोकनी पड़ी है।
इस साल मई में भारत सरकार ने पड़ोसी देशों से ड्यूटी फ्री आयात की रफ्तार को कम करने के लिए पाम तेल आयात के 39 लाइसेंस को रद्द कर दिया था। नेपाल के रिफाइनर्स इस प्रेफरेंशियल एक्सेस के जरिए भारतीय बाजार से खुब फायदे उठा रहे थे। नेपाल के प्रमुख आयातक और रिफाइनर्स का कहना है कि वे क्रूड पाम तेल का अब नया आयात नहीं कर रहे हैं केवल पहले के हुए सौदों की डीलिवरी ही ले रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार नेपाल में पाम तेल का भंडार 70,000 टन के पार चला गया है। जो घरेलू मांग के मुकाबले ज्यादा है। इस वजह से नेपाल ने मध्य जून तक क्रूड पाम तेल का आयात गिरकर प्रति महीने 7,000 टन पर आ गया, जबकि पहले हर महीने करीब 21,000 टन क्रूड पाम तेल का आयात हो रहा था। नेपाल के कुल कारोबार में भारत अकेले की हिस्सेदारी करीब दो तिहाई है जबकि ईंधन की पूरी सप्लाई भारत से ही होती है। वर्ष 2018 में जब भारत में क्रूड पाम तेल पर 54 फीसदी आयात शुल्क था, उस वक्त से ही नेपाल के रिफाइनिंग उद्योग ने फायदा उठाया।
भारत और नेपाल के बीच SAFTA के कारण कई पड़ोसी देशों की कंपनियों ने नेपाल में जाकर रिफाइनरी लगा ली, ताकि दोनों देशों के बीच करार के तहत भारत को ड्यूटी फ्री पाम तेल निर्यात किया जा सके। नेपाल घी और तेल संघ के मुताबिक करीब 25 करोड़ डॉलर के निवेश से नेपाल में तेल रिफाइनरियां लग चुकी हैं। साल 2018-19 में नेपाल से भारत को पाम तेल का निर्यात शुन्य से बढ़कर 45,667 टन पर पहुंच गया। भारत के वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक 2019-20 में नेपाल से 1,89,078 टन पाम तेल का आयात हुआ है। माना जा रहा है कि भारत सरकार की सख्ती से नेपाल की इन रिफाइनर्स को बैंक लोन चुकाने में भी दिक्कत होने लगी है। .......... आर एस राणा
नई दिल्ली। भारत में रिफाइंड पाम तेल खरीद पर रोक से नेपाली रिफाइनिंग कंपनियां मुश्किल में पड़ गई हैं। भारत के कदम से नेपाल के भंडार पूरी तरह से भर गए हैं जिस कारण उन्हे अब क्रूड पाम तेल की खरीद तक रोकनी पड़ी है।
इस साल मई में भारत सरकार ने पड़ोसी देशों से ड्यूटी फ्री आयात की रफ्तार को कम करने के लिए पाम तेल आयात के 39 लाइसेंस को रद्द कर दिया था। नेपाल के रिफाइनर्स इस प्रेफरेंशियल एक्सेस के जरिए भारतीय बाजार से खुब फायदे उठा रहे थे। नेपाल के प्रमुख आयातक और रिफाइनर्स का कहना है कि वे क्रूड पाम तेल का अब नया आयात नहीं कर रहे हैं केवल पहले के हुए सौदों की डीलिवरी ही ले रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार नेपाल में पाम तेल का भंडार 70,000 टन के पार चला गया है। जो घरेलू मांग के मुकाबले ज्यादा है। इस वजह से नेपाल ने मध्य जून तक क्रूड पाम तेल का आयात गिरकर प्रति महीने 7,000 टन पर आ गया, जबकि पहले हर महीने करीब 21,000 टन क्रूड पाम तेल का आयात हो रहा था। नेपाल के कुल कारोबार में भारत अकेले की हिस्सेदारी करीब दो तिहाई है जबकि ईंधन की पूरी सप्लाई भारत से ही होती है। वर्ष 2018 में जब भारत में क्रूड पाम तेल पर 54 फीसदी आयात शुल्क था, उस वक्त से ही नेपाल के रिफाइनिंग उद्योग ने फायदा उठाया।
भारत और नेपाल के बीच SAFTA के कारण कई पड़ोसी देशों की कंपनियों ने नेपाल में जाकर रिफाइनरी लगा ली, ताकि दोनों देशों के बीच करार के तहत भारत को ड्यूटी फ्री पाम तेल निर्यात किया जा सके। नेपाल घी और तेल संघ के मुताबिक करीब 25 करोड़ डॉलर के निवेश से नेपाल में तेल रिफाइनरियां लग चुकी हैं। साल 2018-19 में नेपाल से भारत को पाम तेल का निर्यात शुन्य से बढ़कर 45,667 टन पर पहुंच गया। भारत के वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक 2019-20 में नेपाल से 1,89,078 टन पाम तेल का आयात हुआ है। माना जा रहा है कि भारत सरकार की सख्ती से नेपाल की इन रिफाइनर्स को बैंक लोन चुकाने में भी दिक्कत होने लगी है। .......... आर एस राणा
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