आर एस राणा
नई दिल्ली। अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) द्वारा भारत में कपास के बकाया स्टॉक का जो अनुमान जारी किया गया है उस पर कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सवाल उठाया है। भारतीय कॉटन उद्योग के अनुसार, यूएसडीए ने कपास के कैरीओवर स्टॉक का जो अनुमान लगाया है वह काफी ज्यादा है, जिससे विश्व बाजार में भारतीय कपास की कीमतों पर असर पड़ा है।
कॉटन एसोसिएशन ने बताया कि यूएसडीए द्वारा 31 जुलाई, 2020 को जारी की गई रिपोर्ट में भारत में कैरीओवर स्टॉक 190 लाख गांठ (अमेरिकी गांठ) बताया गया है, जोकि भारतीय गांठ के हिसाब से 240 किलो गांठ (एक गांठ—170 किलो) बैठता है। उद्योग संगठन के अनुसार अगस्त और सितंबर के दो महीनों की घरेलू मिलों की खपत को इस स्टॉक से निकाल दें तो सीजन के आखिर में 30 सितंबर 2020 को बकाया स्टॉक 200 लाख गांठ बचेगा। जबकि ऐसा है नहीं? क्योंकि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) का अनुमान है कि सीजन के आखिर में 50 लाख गांठ कपास का बकाया स्टॉक देश में बचेगा, जबकि कॉटन एडवायजरी बोर्ड (सीएबी) के अनुमान के अनुसार 30 सितंबर, 2020 को देश में कपास का बकाया स्टॉक 48.41 लाख गांठ बचने का अनुमान है।
यूएसडीए को बकाया स्टॉक के आंकड़ों में सुधार करने के लिए उद्योग ने लिखा पत्र
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष अतुल गणत्रा ने यूएसडीए को इसमें सुधार करने के लिए गुरुवार को एक पत्र भी लिखा है। उनका कहना है कि यूएसडीए का अनुमान बहुत अधिक है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक धारणा बन रही है कि भारत में कपास का काफी बड़ा भंडार है और इस कारण से खरीदार गुमराह हो रहे हैं जिससे भारतीय कपास के दाम पर असर पड़ा है और इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज पर जहां भारतीय कपास प्रीमियम पर चल रहा था वहां अब इसमें भारी डिस्काउंट पर कारोबार हो रहा है।
विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती
कॉटन एसोसिएशन के अनुसार, बीते साल जहां भारतीय कपास का दाम 45,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी—356 किलो) था और आयातित कपास का भाव 42,000 रुपये प्रति कैंडी था, वहीं इस साल भारतीय कपास का भाव 34,000 से 35,000 रुपये प्रति कैंडी चल रहा है, जबकि आयातित कपास 42,000 रुपये प्रति कैंडी, जिससे भारतीय कपास का भाव 7,000 रुपये प्रति कैंडी के डिस्काउंट पर आ गया है। विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती है।............... आर एस राणा
नई दिल्ली। अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) द्वारा भारत में कपास के बकाया स्टॉक का जो अनुमान जारी किया गया है उस पर कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सवाल उठाया है। भारतीय कॉटन उद्योग के अनुसार, यूएसडीए ने कपास के कैरीओवर स्टॉक का जो अनुमान लगाया है वह काफी ज्यादा है, जिससे विश्व बाजार में भारतीय कपास की कीमतों पर असर पड़ा है।
कॉटन एसोसिएशन ने बताया कि यूएसडीए द्वारा 31 जुलाई, 2020 को जारी की गई रिपोर्ट में भारत में कैरीओवर स्टॉक 190 लाख गांठ (अमेरिकी गांठ) बताया गया है, जोकि भारतीय गांठ के हिसाब से 240 किलो गांठ (एक गांठ—170 किलो) बैठता है। उद्योग संगठन के अनुसार अगस्त और सितंबर के दो महीनों की घरेलू मिलों की खपत को इस स्टॉक से निकाल दें तो सीजन के आखिर में 30 सितंबर 2020 को बकाया स्टॉक 200 लाख गांठ बचेगा। जबकि ऐसा है नहीं? क्योंकि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) का अनुमान है कि सीजन के आखिर में 50 लाख गांठ कपास का बकाया स्टॉक देश में बचेगा, जबकि कॉटन एडवायजरी बोर्ड (सीएबी) के अनुमान के अनुसार 30 सितंबर, 2020 को देश में कपास का बकाया स्टॉक 48.41 लाख गांठ बचने का अनुमान है।
यूएसडीए को बकाया स्टॉक के आंकड़ों में सुधार करने के लिए उद्योग ने लिखा पत्र
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष अतुल गणत्रा ने यूएसडीए को इसमें सुधार करने के लिए गुरुवार को एक पत्र भी लिखा है। उनका कहना है कि यूएसडीए का अनुमान बहुत अधिक है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक धारणा बन रही है कि भारत में कपास का काफी बड़ा भंडार है और इस कारण से खरीदार गुमराह हो रहे हैं जिससे भारतीय कपास के दाम पर असर पड़ा है और इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज पर जहां भारतीय कपास प्रीमियम पर चल रहा था वहां अब इसमें भारी डिस्काउंट पर कारोबार हो रहा है।
विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती
कॉटन एसोसिएशन के अनुसार, बीते साल जहां भारतीय कपास का दाम 45,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी—356 किलो) था और आयातित कपास का भाव 42,000 रुपये प्रति कैंडी था, वहीं इस साल भारतीय कपास का भाव 34,000 से 35,000 रुपये प्रति कैंडी चल रहा है, जबकि आयातित कपास 42,000 रुपये प्रति कैंडी, जिससे भारतीय कपास का भाव 7,000 रुपये प्रति कैंडी के डिस्काउंट पर आ गया है। विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती है।............... आर एस राणा
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