आर एस राणा
नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर मध्य प्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैग दिलाने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि किसानों के हित और चावल की गुणवत्ता को देखते हुए मध्यप्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैग देना उचित होगा। राज्य के 13 जिलों में बासमती चावल का उत्पादन होता है, तथा इससे राज्य के करीब 80 लाख किसानों को फायदा होगा। राज्य सरकार बासमती चावल के जीआई टैग के लिए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है।
मुख्यमंत्री ने दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री से मुलाकात के दौरान कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की है। इस दौरान उन्होंने मध्य प्रदेश में पैदा होने वाले बासमती चावल को जीआई टैग दिलाने की मांग की है। कृषि मंत्री ने कहा है कि मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने प्रदेश के बासमती चावल को जीआई दर्जा देने और प्रदेश में कृषि को और अधिक बढ़ावा देने आदि विषयों पर बात की है। मुलाकात के बाद शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम अमेरिका और कनाडा को उच्च गुणवत्ता वाले बासमती चावल का निर्यात करते हैं। कृषि मंत्री के साथ बैठक में हमने बासमती चावल को जीआई टैग देने का अनुरोध किया है। इसकी मांग हम लंबे समय से कर रहे हैं।
राज्य सरकार का दावा है कि मध्य प्रदेश के कई इलाकों में परंपरागत तरीके से बासमती धान की खेती होती है। इसी आधार पर भौगोलिक संकेतक (जीआई टैग) के लिए आवेदन किया था। शुरुआती दौर में मध्य प्रदेश के पक्ष में फैसला आया था जिसे लेकर कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। इसमें प्रदेश के पक्ष को खारिज कर दिया गया। इसके खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
प्रदेश में परंपरागत तौर पर सीहोर, रायसेन, विदिशा, होशंगाबाद सहित अन्य जिलों में बासमती धान की खेती होती है। इसे प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने किसानों को बीज उपलब्ध कराकर खेती भी कराई लेकिन विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में मध्य प्रदेश का नाम नहीं होने से इसे मान्यता नहीं मिली। इस कारण यहां की बासमती धान को वह कीमत नहीं मिल पाती है जो मिलनी चाहिए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पिछले कार्यकाल में भौगोलिक संकेतक (जीआई टैग) पंजीयन हासिल करने के लिए आवेदन कराया था। .... आर एस राणा
नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर मध्य प्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैग दिलाने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि किसानों के हित और चावल की गुणवत्ता को देखते हुए मध्यप्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैग देना उचित होगा। राज्य के 13 जिलों में बासमती चावल का उत्पादन होता है, तथा इससे राज्य के करीब 80 लाख किसानों को फायदा होगा। राज्य सरकार बासमती चावल के जीआई टैग के लिए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है।
मुख्यमंत्री ने दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री से मुलाकात के दौरान कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की है। इस दौरान उन्होंने मध्य प्रदेश में पैदा होने वाले बासमती चावल को जीआई टैग दिलाने की मांग की है। कृषि मंत्री ने कहा है कि मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने प्रदेश के बासमती चावल को जीआई दर्जा देने और प्रदेश में कृषि को और अधिक बढ़ावा देने आदि विषयों पर बात की है। मुलाकात के बाद शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम अमेरिका और कनाडा को उच्च गुणवत्ता वाले बासमती चावल का निर्यात करते हैं। कृषि मंत्री के साथ बैठक में हमने बासमती चावल को जीआई टैग देने का अनुरोध किया है। इसकी मांग हम लंबे समय से कर रहे हैं।
राज्य सरकार का दावा है कि मध्य प्रदेश के कई इलाकों में परंपरागत तरीके से बासमती धान की खेती होती है। इसी आधार पर भौगोलिक संकेतक (जीआई टैग) के लिए आवेदन किया था। शुरुआती दौर में मध्य प्रदेश के पक्ष में फैसला आया था जिसे लेकर कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। इसमें प्रदेश के पक्ष को खारिज कर दिया गया। इसके खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
प्रदेश में परंपरागत तौर पर सीहोर, रायसेन, विदिशा, होशंगाबाद सहित अन्य जिलों में बासमती धान की खेती होती है। इसे प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने किसानों को बीज उपलब्ध कराकर खेती भी कराई लेकिन विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में मध्य प्रदेश का नाम नहीं होने से इसे मान्यता नहीं मिली। इस कारण यहां की बासमती धान को वह कीमत नहीं मिल पाती है जो मिलनी चाहिए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पिछले कार्यकाल में भौगोलिक संकेतक (जीआई टैग) पंजीयन हासिल करने के लिए आवेदन कराया था। .... आर एस राणा
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