आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस की मार झेल रहे टेक्सटाइल उद्योग को गति देने के लिए केंद्र सरकार प्रोत्साहन दे सकती है। टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड के तहत 30 करोड़ तक की सब्सिडी के साथ विशेष टेक्सटाइल विश्वविद्यालय खोले जाने और दूसरे वित्तीय प्रोत्साहन देने की योजना हैं। साथ ही सभी बंदरहागों पर टेक्सटाइल निर्यात के लिए गोदाम बनाने के साथ सरकारी विभागों में टेक्निकल टेक्सटाइल (पीपीई में प्रयोग होने वाले) के इस्तेमाल को जरूरी किए जाने की भी योजना है।
भारत सरकार ने हाल ही में आत्मनिर्भर भारत के तहत मैन्युफैक्चरिंग एवं निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 12 सेक्टरों का चुनाव किया है। जिसमें टेक्सटाइल उद्योग भी शामिल हैं। इसके तहत केंद्र सरकार अब चीन की तरह भारत में काफी बड़े स्तर पर ही एक ही जगह पर टेक्सटाइल की पूरी चेन बनाने की योजना पर काम कर रही है। सरकार के इस कदम से उत्पाद की लागत कम हो सकेगी जिससे सस्ते निर्यात के लिए बड़े ऑर्डर लिए जा सकेंगे। इसके तहत मेगा टेक्सटाइल पार्क के निर्माण की भी योजना है। यही नहीं वोकल फॉर लोकल और ग्लोबल मार्केट में ब्रांड इंडिया को सफल बनाने के लिए भारत सरकार उच्च स्तरीय तकनीकी और गुणवत्ता वाले उत्पादन पर फोकस करने जा रही है। हालांकि लक्ष्य को हासिल करने के लिए कुशल कारीगर और उच्च प्रशिक्षित टेक्सटाइल कर्मियों की जरूरत पड़ेगी, इसीलिए इसके लिए टेक्सटाइल विश्वविद्यालय खोले जाएंगे।
निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार कर रही खाका तैयार
सूत्रों के अनुसार सरकार टेक्सटाइल निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उन देशों के साथ व्यापार करार का भी खाका तैयार कर रही है जहां अभी भारत टेक्सटाइल उत्पाद नहीं बेच पा रहा है। इसके तहत यूरोपीय यूनियन के साथ मुक्त व्यापार करार (एफटीए) सरकार की प्राथमिकता होगी। माना जा रहा है कि नीतिगत मदद नहीं होने से भारत को यूरोप के कपड़ा बाजार में बांग्लादेश, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे देशों से कड़ी चुनौती मिल रही है, जिसका असर भारत के कपास और टेक्सटाइल निर्यात पर पड़ रहा है।
उत्पादक मंडियों में कपास के दाम समर्थन मूल्य से नीचे, सितंबर में आयेगी नई फसल
भारत दुनिया में कॉटन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, इस समय कॉटन कारर्पोरेशन आफ इंडिया के पास करीब 100 लाख गांठ (एक गांठ—170 किलो) कपास का स्टॉक है, जबकि अगले दो महीने बाद कपास की नई फसल की आवक शुरू हो जायेगी। चालू खरीफ में कपास की बुआई भी 34.89 फीसदी बढ़कर 104.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 77.71 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। कपास के भाव उत्पादक मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं तथा आगामी खरीफ के लिए केंद्र सरकार ने कपास के एमएसपी में बढ़ोतरी भी की है। ऐसे में सरकार उद्योग को बढ़ावा देकर निर्यात बढ़ाना चाहती है, ताकि घरेलू बाजार में कीमतों में सुधार आ सके। ............. आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस की मार झेल रहे टेक्सटाइल उद्योग को गति देने के लिए केंद्र सरकार प्रोत्साहन दे सकती है। टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड के तहत 30 करोड़ तक की सब्सिडी के साथ विशेष टेक्सटाइल विश्वविद्यालय खोले जाने और दूसरे वित्तीय प्रोत्साहन देने की योजना हैं। साथ ही सभी बंदरहागों पर टेक्सटाइल निर्यात के लिए गोदाम बनाने के साथ सरकारी विभागों में टेक्निकल टेक्सटाइल (पीपीई में प्रयोग होने वाले) के इस्तेमाल को जरूरी किए जाने की भी योजना है।
भारत सरकार ने हाल ही में आत्मनिर्भर भारत के तहत मैन्युफैक्चरिंग एवं निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 12 सेक्टरों का चुनाव किया है। जिसमें टेक्सटाइल उद्योग भी शामिल हैं। इसके तहत केंद्र सरकार अब चीन की तरह भारत में काफी बड़े स्तर पर ही एक ही जगह पर टेक्सटाइल की पूरी चेन बनाने की योजना पर काम कर रही है। सरकार के इस कदम से उत्पाद की लागत कम हो सकेगी जिससे सस्ते निर्यात के लिए बड़े ऑर्डर लिए जा सकेंगे। इसके तहत मेगा टेक्सटाइल पार्क के निर्माण की भी योजना है। यही नहीं वोकल फॉर लोकल और ग्लोबल मार्केट में ब्रांड इंडिया को सफल बनाने के लिए भारत सरकार उच्च स्तरीय तकनीकी और गुणवत्ता वाले उत्पादन पर फोकस करने जा रही है। हालांकि लक्ष्य को हासिल करने के लिए कुशल कारीगर और उच्च प्रशिक्षित टेक्सटाइल कर्मियों की जरूरत पड़ेगी, इसीलिए इसके लिए टेक्सटाइल विश्वविद्यालय खोले जाएंगे।
निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार कर रही खाका तैयार
सूत्रों के अनुसार सरकार टेक्सटाइल निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उन देशों के साथ व्यापार करार का भी खाका तैयार कर रही है जहां अभी भारत टेक्सटाइल उत्पाद नहीं बेच पा रहा है। इसके तहत यूरोपीय यूनियन के साथ मुक्त व्यापार करार (एफटीए) सरकार की प्राथमिकता होगी। माना जा रहा है कि नीतिगत मदद नहीं होने से भारत को यूरोप के कपड़ा बाजार में बांग्लादेश, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे देशों से कड़ी चुनौती मिल रही है, जिसका असर भारत के कपास और टेक्सटाइल निर्यात पर पड़ रहा है।
उत्पादक मंडियों में कपास के दाम समर्थन मूल्य से नीचे, सितंबर में आयेगी नई फसल
भारत दुनिया में कॉटन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, इस समय कॉटन कारर्पोरेशन आफ इंडिया के पास करीब 100 लाख गांठ (एक गांठ—170 किलो) कपास का स्टॉक है, जबकि अगले दो महीने बाद कपास की नई फसल की आवक शुरू हो जायेगी। चालू खरीफ में कपास की बुआई भी 34.89 फीसदी बढ़कर 104.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 77.71 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। कपास के भाव उत्पादक मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं तथा आगामी खरीफ के लिए केंद्र सरकार ने कपास के एमएसपी में बढ़ोतरी भी की है। ऐसे में सरकार उद्योग को बढ़ावा देकर निर्यात बढ़ाना चाहती है, ताकि घरेलू बाजार में कीमतों में सुधार आ सके। ............. आर एस राणा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें