आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक मंडियों में मसूर को छोड़ अन्य दालों के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं जबकि दालों में मांग सामान्य से 25 से 30 फीसदी कम है। नेफेड समर्थन मूल्य पर 20.79 लाख चना और 5.50 लाख अरहर की खरीद कर चुकी है इसलिए दालों की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है।
चना की कीमतों में सुधार आया था, लेकिन उंचे भाव में स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से तेजी टिक नहीं पाई। जानकारों के अनुसार उत्पादक मंडियों में चना का बकाया स्टॉक ज्यादा है, जबकि दालों में मांग सामान्य की तुलना में कम है इसलिए चना में व्यापार छोटे टारगेट बनाकर ही करना चाहिए, बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए। उत्पादक मंडियों में चना के भाव 3,900 से 4,200 रुपये और दिल्ली में इसके भाव 4,200 रुपये प्रति क्विंटल रहे। आयातित चना के भाव 5,800 रुपये प्रति क्विंटल है, इसलिए आयात पड़ते नहीं लगेंगे। नेफेड चालू रबी में 20.79 लाख टन चना की खरीद कर चुकी है तथा खरीद का लक्ष्य 22.50 लाख टन का है।
समर मूंग की आवक बढ़ी, खरीफ में बुआई ज्यादा
समर मूंग की आवक उत्पादक मंडियों में चल रही है, जबकि सितंबर में खरीफ की नई फसल की आवक बनेगी। इसलिए मूंग की कीमतों में भी तेजी की संभावना नहीं है। मूंग की बुआई चालू खरीफ में 9.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 3.11 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। उत्पादक मंडियों में मूंग के भाव 6,200 से 6,600 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि आयातित मूंग के भाव 7,100 रुपये प्रति क्विंटल है इसलिए मूंग के आयात सौदे भी नहीं हो रहे हैं।
अरहर की कीमतों में हल्का सुधार संभव, बड़ी तेजी नहीं
अरहर के भाव दिल्ली में 5,450 से 5,550 रुपये प्रति क्विंटल और उत्पादक मंडियों में 5,000 से 5,800 रुपये प्रति क्विंटल है। आयातित अरहर के भाव मुंबई में 5,500 से 5,600 रुपये प्रति क्विंटल हैं। चालू वित्त वर्ष में करीब 2.75 लाख टन अरहर का आयात हो चुका है तथा आयातित अरहर सस्ती है इसलिए घरेलू बाजार में अरहर के भाव में हल्का सुधार तो बन सकता है लेकिन बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए। अरहर की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 16.56 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल के 2.79 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।
आयातित उड़द सस्ती, सितंबर में आयेगी नई फसल
उड़द के भाव उत्पादक मंडियों में 5,800 से 5,900 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं, जबकि आयातित उड़द एफएक्यू के भाव 5,500 से 5,550 रुपये प्रति क्विंटल हैं। उड़द का आयात 4 लाख टन का अगस्त 2020 तक करना है जिसमें से करीब 3.50 लाख टन का आयात हो चुका है, आयातित उड़द सस्ती है जबकि सितंबर में नई फसल आ जायेगी, इसलिए उड़द की कीमतों में भी तेजी की संभावना नहीं है। चालू खरीफ में उड़द की बुआई बढ़कर 8.77 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 1.87 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।
मसूर का आयात 8 से 9 लाख टन होने का अनुमान
मसूर के भाव कानपुर मंडी में 5,800 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि आयातित मसूर के भाव 5,625 रुपये प्रति क्विंटल है। जानकारों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में अभी तक करीब पांच लाख टन मसूर का आयात हो चुका है तथा माना जा रहा है कि चालू सीजन में कुल आयात 8 से 9 लाख टन का हो जायेगा। अगस्त तक मसूर के आयात पर 10 फीसदी आयात शुल्क है, अत: अगर सरकार ने उसके बाद बाद आयात शुल्क बढ़ा दिया तो फिर मसूर की कीमतों में मंदे की उम्मीद नहीं है। हालांकि आयातित मसूर सस्ती है तथा अगले दस-बारह दिनों में करीब 90 हजार आयातित मसूर आने का अनुमान है इसलिए इसके भाव में भी सीमित तेजी-मंदी ही बनी रहने का अनुमान है।
दालों का करीब 34.50 लाख टन का स्टॉक
केंद्रीय पूल में दालों का करीब 34.50 लाख टन का बकाया स्टॉक है, तथा कई राज्यों में अभी सरकारी खरीद चल रही है। हालांकि मसूर और मूंग और उड़द की खरीद सीमित में ही हुई है तथा इनका बकाया स्टॉक भी कम है लेकिन इसके बावजूद भी दालों की कीमतों में ज्यादा तेजी की संभावना नहीं है।............ आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक मंडियों में मसूर को छोड़ अन्य दालों के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं जबकि दालों में मांग सामान्य से 25 से 30 फीसदी कम है। नेफेड समर्थन मूल्य पर 20.79 लाख चना और 5.50 लाख अरहर की खरीद कर चुकी है इसलिए दालों की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है।
चना की कीमतों में सुधार आया था, लेकिन उंचे भाव में स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से तेजी टिक नहीं पाई। जानकारों के अनुसार उत्पादक मंडियों में चना का बकाया स्टॉक ज्यादा है, जबकि दालों में मांग सामान्य की तुलना में कम है इसलिए चना में व्यापार छोटे टारगेट बनाकर ही करना चाहिए, बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए। उत्पादक मंडियों में चना के भाव 3,900 से 4,200 रुपये और दिल्ली में इसके भाव 4,200 रुपये प्रति क्विंटल रहे। आयातित चना के भाव 5,800 रुपये प्रति क्विंटल है, इसलिए आयात पड़ते नहीं लगेंगे। नेफेड चालू रबी में 20.79 लाख टन चना की खरीद कर चुकी है तथा खरीद का लक्ष्य 22.50 लाख टन का है।
समर मूंग की आवक बढ़ी, खरीफ में बुआई ज्यादा
समर मूंग की आवक उत्पादक मंडियों में चल रही है, जबकि सितंबर में खरीफ की नई फसल की आवक बनेगी। इसलिए मूंग की कीमतों में भी तेजी की संभावना नहीं है। मूंग की बुआई चालू खरीफ में 9.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 3.11 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। उत्पादक मंडियों में मूंग के भाव 6,200 से 6,600 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि आयातित मूंग के भाव 7,100 रुपये प्रति क्विंटल है इसलिए मूंग के आयात सौदे भी नहीं हो रहे हैं।
अरहर की कीमतों में हल्का सुधार संभव, बड़ी तेजी नहीं
अरहर के भाव दिल्ली में 5,450 से 5,550 रुपये प्रति क्विंटल और उत्पादक मंडियों में 5,000 से 5,800 रुपये प्रति क्विंटल है। आयातित अरहर के भाव मुंबई में 5,500 से 5,600 रुपये प्रति क्विंटल हैं। चालू वित्त वर्ष में करीब 2.75 लाख टन अरहर का आयात हो चुका है तथा आयातित अरहर सस्ती है इसलिए घरेलू बाजार में अरहर के भाव में हल्का सुधार तो बन सकता है लेकिन बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए। अरहर की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 16.56 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल के 2.79 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।
आयातित उड़द सस्ती, सितंबर में आयेगी नई फसल
उड़द के भाव उत्पादक मंडियों में 5,800 से 5,900 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं, जबकि आयातित उड़द एफएक्यू के भाव 5,500 से 5,550 रुपये प्रति क्विंटल हैं। उड़द का आयात 4 लाख टन का अगस्त 2020 तक करना है जिसमें से करीब 3.50 लाख टन का आयात हो चुका है, आयातित उड़द सस्ती है जबकि सितंबर में नई फसल आ जायेगी, इसलिए उड़द की कीमतों में भी तेजी की संभावना नहीं है। चालू खरीफ में उड़द की बुआई बढ़कर 8.77 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 1.87 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।
मसूर का आयात 8 से 9 लाख टन होने का अनुमान
मसूर के भाव कानपुर मंडी में 5,800 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि आयातित मसूर के भाव 5,625 रुपये प्रति क्विंटल है। जानकारों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में अभी तक करीब पांच लाख टन मसूर का आयात हो चुका है तथा माना जा रहा है कि चालू सीजन में कुल आयात 8 से 9 लाख टन का हो जायेगा। अगस्त तक मसूर के आयात पर 10 फीसदी आयात शुल्क है, अत: अगर सरकार ने उसके बाद बाद आयात शुल्क बढ़ा दिया तो फिर मसूर की कीमतों में मंदे की उम्मीद नहीं है। हालांकि आयातित मसूर सस्ती है तथा अगले दस-बारह दिनों में करीब 90 हजार आयातित मसूर आने का अनुमान है इसलिए इसके भाव में भी सीमित तेजी-मंदी ही बनी रहने का अनुमान है।
दालों का करीब 34.50 लाख टन का स्टॉक
केंद्रीय पूल में दालों का करीब 34.50 लाख टन का बकाया स्टॉक है, तथा कई राज्यों में अभी सरकारी खरीद चल रही है। हालांकि मसूर और मूंग और उड़द की खरीद सीमित में ही हुई है तथा इनका बकाया स्टॉक भी कम है लेकिन इसके बावजूद भी दालों की कीमतों में ज्यादा तेजी की संभावना नहीं है।............ आर एस राणा
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