आर एस राणा
नई दिल्ली। विश्व बाजार में कीमतें कम होने के कारण सोया डीओसी का निर्यात सीमित मात्रा में ही हो रहा है, जिस कारण घरेलू तेल मिलों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसलिए उद्योग ने केंद्र सरकार से सोया डीओसी के निर्यात पर इंसेंटिव को पांच फीसदी से बढ़ाकर दस फीसदी करने की मांग की है।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) ने कृषि मंत्रालय की संयुक्त सचिव को पत्र लिखकर मांग की है कि विश्व बाजार में कीमतें कम होने के कारण सोया डीओसी के निर्यात पड़ते नहीं लग रहे हैं, इसलिए निर्यातकों को दिए जाने वाले इंसेंटिव को पांच फीसदी से बढ़ाकर दस फीसदी किया जाए। सोपा के अनुसार वित्त वर्ष 2012-13 तक देश से करीब 40 लाख टन सोया डीओसी का निर्यात हो रहा था, जोकि वित्त वर्ष 2018-19 तक घटकर 20 लाख टन रह गया। चालू वित्त वर्ष में निर्यात घटकर 6 से 7 लाख टन का ही होने का अनुमान है।
नेपाल और बंगलादेश से बड़ी मात्रा में शून्य शुल्क पर हो रहा है खाद्य तेलों का आयात
सोपा के अनुसार पड़ोसी देशों नेपाल और बंगलादेश से बड़ी मात्रा में शून्य शुल्क पर रिफाइंड पॉम तेल और रिफाइंड सोयाबीन तेल का आयात हो रहा है, जिससे उद्योग को भारी नुकसान हो रहा है। इसलिए सरकार को इस पर तत्काल रोक लगाने की जरुरत है। घरेलू किसानों को तिलहन का उचित भाव मिलेगा तो किसान इसकी खेती को प्राथमिकता देंगे तथा आयातित खाद्य तेलों पर निर्भरता में भी कमी आयेगी। इस समय हम अपनी जरुरत का करीब 60 फीसदी से ज्यादा खाद्य तेलों का आयात करते हैं। सोपा ने आयातित खाद्य तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी के साथ ही खाद्य तेलों का आयात महीने के हिसाब से तय करने की मांग भी की।
विश्व बाजार में दाम कम, निर्यात मांग कमजोर
साई सिमरन फूड लिमिटेड के प्रबंधक नरेश गोयनका ने बताया कि विश्व बाजार में कीमतें कम होने के कारण सोया डीओसी में मांग सीमित मात्रा में ही बनी हुई है, जबकि सोया तेल में भी मांग कमजोर है। उन्होंने बताया कि पोल्ट्री उद्योग की हालत खराब होने के कारण सोया डीओसी में घरेलू मांग भी काफी कमजोर है। सोया डीओसी के भाव प्लांट डिलीवरी 31,000 से 32,000 रुपये प्रति टन रह गए हैं, जबकि मंडियों में सोयाबीन के भाव 3,650 से 3,750 रुपये प्रति क्विंटल है। सोया रिफाइंड तेल के भाव 820 रुपये प्रति किलो हैं।
बकाया स्टॉक ज्यादा, बुआई में भी हुई बढ़ोतरी
उन्होंने बताया कि उत्पादक राज्यों में मौसम फसल के अनुकूल है, इसलिए सोयाबीन की बुआई भी पिछले साल की तुलना में बढ़ रही है, जिससे उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है। उत्पादक मंडियों में करीब 30 से 35 लाख टन सोयाबीन का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जिसमें से नई फसल तक करीब 20 से 25 लाख टन की खपत होगी, तथा 15 लाख टन का बकाया स्टॉक बचने का अनुमान है। कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई बढ़कर 81.81 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 16.43 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में अनुकूल मौसम से इसकी बुआई में बढ़ोतरी हुई है।............ आर एस राणा
नई दिल्ली। विश्व बाजार में कीमतें कम होने के कारण सोया डीओसी का निर्यात सीमित मात्रा में ही हो रहा है, जिस कारण घरेलू तेल मिलों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसलिए उद्योग ने केंद्र सरकार से सोया डीओसी के निर्यात पर इंसेंटिव को पांच फीसदी से बढ़ाकर दस फीसदी करने की मांग की है।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) ने कृषि मंत्रालय की संयुक्त सचिव को पत्र लिखकर मांग की है कि विश्व बाजार में कीमतें कम होने के कारण सोया डीओसी के निर्यात पड़ते नहीं लग रहे हैं, इसलिए निर्यातकों को दिए जाने वाले इंसेंटिव को पांच फीसदी से बढ़ाकर दस फीसदी किया जाए। सोपा के अनुसार वित्त वर्ष 2012-13 तक देश से करीब 40 लाख टन सोया डीओसी का निर्यात हो रहा था, जोकि वित्त वर्ष 2018-19 तक घटकर 20 लाख टन रह गया। चालू वित्त वर्ष में निर्यात घटकर 6 से 7 लाख टन का ही होने का अनुमान है।
नेपाल और बंगलादेश से बड़ी मात्रा में शून्य शुल्क पर हो रहा है खाद्य तेलों का आयात
सोपा के अनुसार पड़ोसी देशों नेपाल और बंगलादेश से बड़ी मात्रा में शून्य शुल्क पर रिफाइंड पॉम तेल और रिफाइंड सोयाबीन तेल का आयात हो रहा है, जिससे उद्योग को भारी नुकसान हो रहा है। इसलिए सरकार को इस पर तत्काल रोक लगाने की जरुरत है। घरेलू किसानों को तिलहन का उचित भाव मिलेगा तो किसान इसकी खेती को प्राथमिकता देंगे तथा आयातित खाद्य तेलों पर निर्भरता में भी कमी आयेगी। इस समय हम अपनी जरुरत का करीब 60 फीसदी से ज्यादा खाद्य तेलों का आयात करते हैं। सोपा ने आयातित खाद्य तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी के साथ ही खाद्य तेलों का आयात महीने के हिसाब से तय करने की मांग भी की।
विश्व बाजार में दाम कम, निर्यात मांग कमजोर
साई सिमरन फूड लिमिटेड के प्रबंधक नरेश गोयनका ने बताया कि विश्व बाजार में कीमतें कम होने के कारण सोया डीओसी में मांग सीमित मात्रा में ही बनी हुई है, जबकि सोया तेल में भी मांग कमजोर है। उन्होंने बताया कि पोल्ट्री उद्योग की हालत खराब होने के कारण सोया डीओसी में घरेलू मांग भी काफी कमजोर है। सोया डीओसी के भाव प्लांट डिलीवरी 31,000 से 32,000 रुपये प्रति टन रह गए हैं, जबकि मंडियों में सोयाबीन के भाव 3,650 से 3,750 रुपये प्रति क्विंटल है। सोया रिफाइंड तेल के भाव 820 रुपये प्रति किलो हैं।
बकाया स्टॉक ज्यादा, बुआई में भी हुई बढ़ोतरी
उन्होंने बताया कि उत्पादक राज्यों में मौसम फसल के अनुकूल है, इसलिए सोयाबीन की बुआई भी पिछले साल की तुलना में बढ़ रही है, जिससे उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है। उत्पादक मंडियों में करीब 30 से 35 लाख टन सोयाबीन का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जिसमें से नई फसल तक करीब 20 से 25 लाख टन की खपत होगी, तथा 15 लाख टन का बकाया स्टॉक बचने का अनुमान है। कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई बढ़कर 81.81 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 16.43 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में अनुकूल मौसम से इसकी बुआई में बढ़ोतरी हुई है।............ आर एस राणा
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