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24 जुलाई 2020

खपत में कमी के बावजूद खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी जारी

आर एस राणा
नई दिल्ली।  होटल, रेस्तरा, कैंटीन में कारोबार कम से खाने के तेल की खपत घटने के बावजूद तमाम खाद्य तेल की कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है। सरसों का तेल बीते दो महीने में 20 रुपये प्रति किलो तक महंगा हो गया है। इसी प्रकार सोया तेल, पाम तेल व अन्य खाद्य तेल के दाम बढ़े हैं। पाम तेल में आई तेजी के कारण घरेलू बाजार में खाने के तेलों के दाम बढ़े हैं।
ब्रांडेड सरसों के तल का भाव दो महीने पहले 130 रुपये प्रति किलो था जो अब 150 रुपये प्रति किलो हो गया है। रिटेल कारोबारी बताते हैं कि मई के बाद सरसों के तेल में 20 रुपये प्रति किलो तक की वृद्धि हुई है और सोया तेल का दाम भी 15 से 20 रुपये प्रति किलो तक बढ़ गया है।
साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी.वी. मेहता के अनुसार पाम तेल की कीमतों में आई तेजी का असर खाद्य तेलों की कीमतों पर पड़ा है। उन्होंने कहा कि पाम तेल सबसे सस्ता तेल है और जब पाम तेल का दाम बढ़ता है तो सरसों और सोया तेल समेत अन्य खाद्य तेल के दाम में भी बढ़ोतरी होती है। उन्होंने कहा कि मलेशिया में मजूदरों की कमी के कारण उत्पादन प्रभावित होने से पाम तेल के भाव में बढ़ोतरी हुई है।
मेहता के अनुसार, खाने के तेल की 40 फीसदी खपत होटल, रेस्तरां और कैंटीन में होती है, जबकि 60 फीसदी घरलू खपत होती है, लेकिन मौजूदा दौर में होटल, रेस्तरां और कैंटीन मेे मांग प्रभावित होने से घरेलू खपत करीब 10 फीसदी बढ़ गई है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर शुक्रवार को क्रूड पाम तेल यानी सीपीओ के चालू महीने के वायदा अनुबंध का भाव 745 रुपये प्रति 10 किलो तक उछला जबकि एक मई को सीपीओ का भाव एमसीएक्स पर 567 रुपये प्रति 10 किलो था। इस प्रकार एक मई के बाद सीपीओ का भाव 17.8 रुपये किलो बढ़ गया है। वहीं, कांडला पोर्ट पर आरबीडी पामोलीन का थोक भाव एक मई को जहां 705 रुपये प्रति 10 किलो था वहां 24 जुलाई को 810 रुपये प्रति 10 किलो हो गया।
सोया तेल का भाव इंदौर में एक जून को 795 रुपये प्रति 10 किलो था जोकि बढ़कर 850 रुपये प्रति 10 किलो हो गया है। जयपुर में कच्ची घानी सरसों का भाव एक मई को 897 रुपये प्रति 10 किलो था जोकि बढ़कर 1,038 रुपये प्रति 10 किलो हो गया है। इस प्रकार कच्ची घानी सरसों तेल का थोक दाम एक मई के बाद 14 रुपये प्रति किलो बढ़ गया है।  इंडोनेशिया और मलेशिया पाम तेल का प्रमुख उत्पादक है और कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए लॉकडाउन के साथ-साथ रमजान के मौके पर विदेशी मजदूरों के पलायन के कारण पाम का उत्पादन प्रभावित रहा और इस महीने बारिश के कारण पाम के उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका बनी हुई है जिससे इसके दाम में लगातार तेजी बनी हुई है। मलेशिया पाम ऑयल एसोसिएशन के अनुसार, एक से 20 जुलाई तक मलेशिया में पाम तेल का उत्पादन बीते महीने की इसी अवधि के मुकाबले 8.88 फीसदी कम रहा है। केएलसी पर पाम तेल के दाम में लगातार तेजी बनी हुई है। मलेशियाई वायदा बाजार केएलसी पर एक जुलाई को पाम तेल का वायदा जहां एक जुलाई को 2,297 रिंगिट प्रति टन था वहां 24 जुलाई को 2,777 रिंगिट प्रति टन रहा। अत: मलेशिया में इस महीने पाम तेल के दाम में 20 फीसदी की तेजी आई है।
 अमेरिका-चीन ट्रेड वार के चलते इस साल चीन ने ब्राजील से सोयाबीन ज्यादा खरीदी, जिससे ब्राजील की तकरीबन 95 फीसदी फसल निकल चुकी है और बाकी पांच फीसदी का इस्तेमाल बायोडीजल में होने की संभावना है। मौजूदा दौर में सोयाबीन की वैश्विक मांग अमेरिका की तरफ शिफ्ट हो चुकी है और अमेरिकी बाजार में सोयाबीन में तेजी बनी हुई जिसका असर दुनिया के बाजारों पर भी देखा जा रहा है।............. आर एस राणा

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