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03 नवंबर 2009

चीनी और कड़वी, दाम नई ऊंचाई पर

घरेलू बाजार में चीनी की उपलब्धता में कमी और गन्ना के नए पेराई सीजन में देरी के चलते भाव नए रिकार्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। सोमवार को एक्स-फैक्ट्री चीनी के दाम बढ़कर 3250-3350 रुपये और दिल्ली थोक बाजार में 3500-3550 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। फुटकर बाजार में इसके दाम बढ़कर 38-39 रुपये प्रति किलो के स्तर पर पहुंच गए हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चीनी के दाम तेज बने हुए हैं। जबकि किसानों और सरकार के बीच गन्ना कीमतों को लेकर टकराव की स्थिति बनी हुई है जिससे पेराई सीजन में और देरी की आशंका है। ब्याह-शादियों का सीजन होने से चीनी की मांग बढ़ी हुई है। ऐसे में इसकी कीमतों में और बढ़ोतरी की संभावना बनी हुई है।
चीनी की उपलब्धता में कमी के कारण ही सरकार ने नवंबर महीने के लिए सामान्य कोटा घटाकर 10.50 लाख टन का जारी किया है। जबकि अक्टूबर महीने में सामान्य कोटा 14.17 लाख टन और सितंबर में 14 लाख टन का जारी किया गया था। नवंबर में लेवी कोटा 2.14 लाख टन का है जबकि 3.05 लाख टन आयातित चीनी (कोटे में दिये जाने के लिए) आने का अनुमान है।
चीनी की कीमतों में पिछले एक सप्ताह में 300-350 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी का प्रमुख कारण सरकार द्वारा घोषित गन्ने की नई मूल्य प्रणाली फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (एफआरपी) को लेकर किसानों और सरकार के बीच टकराव है। ऐसे में नवंबर के पहले सप्ताह में शुरू होने वाले गन्ना पेराई सीजन में अभी और 15-20 दिन की देरी होने की आशंका बन गई है।
उद्योग सूत्रों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम तेज होने के कारण कंपनियां नए आयात सौदे भी नहीं कर रही हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में रॉ-शुगर (गैर-रिफाइंड) चीनी के दाम 22.81 सेंट प्रति पाउंड चल रहे हैं। गन्ने की कमी के कारण चालू पेराई सीजन में देश में चीनी का उत्पादन 160 लाख टन होने की संभावना है जबकि सालाना खपत 230 लाख टन की है। वर्ष 2008-09 में भी चीनी का उत्पादन घटकर 150 लाख टन रह गया। घरेलू बाजार में उपलब्धता बढ़ाने के लिए वर्ष 2008-09 में शुल्क रहित रॉ-शुगर के करीब 50 लाख टन के आयात सौदे किए गए हैं।
इसमें से करीब 27 लाख टन चीनी भारत पहुंच चुकी है। इसके अलावा सरकारी कंपनियों ने करीब आठ लाख टन व्हाइट चीनी के आयात सौदे किये हैं जिसमें से तीन लाख टन चीनी भारत पहुंच चुकी है। नए पेराई सीजन में भी 50-60 लाख टन रॉ-शुगर का आयात होने की संभावना है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव तेज होने के कारण घरेलू उपभोक्ताओं को चीनी की कीमतों में फिलहाल राहत की उम्मीद नहीं है। (बिज़नस भास्कर...आर अस राणा)

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