रायपुर November 06, 2009
लौह अयस्क की मांग में तेजी आई है, जिसका उपयोग स्टील बनाने में कच्चे माल के रूप में होता है। इसके चलते नैशनल मिनरल डेवलपमेंट कार्पोरेशन (एनएमडीसी) के कारोबार में तेज बढ़ोतरी हुई है। रेल विभाग की ढुलाई गतिविधियों में भी तेजी आई है।
सूत्रों का कहना है कि छत्तीसगढ़ की दंतेवाड़ा फैक्टरी से लौह अयस्क की लदान में जोरदार बढ़ोतरी हुई है और मालगाड़ी पर लोड किए जाने वाले रैकों की संख्या पिछले महीने की तुलना में बढ़कर दोगुना हो गया है। रेल विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पिछले कई महीनों से प्रतिदिन 6-7 रैक औसतन लादे जाते थे।
अब यह इस महीने में बढ़कर 15-16 रैक हो गया है। इसके पहले कंपनी की दंतेवाड़ा फैक्टरी से लदान कम होने की वजह से रेल विभाग को खासा नुकसान हो रहा था। एनएमडीसी की दंतेवाड़ा में दो खदानें हैं। बैलाडिला खदान से 205 लाख टन लौह अयस्क का उत्पादन होता है।
कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'पिछले 8 महीनों में छोटी इकाइयों ने एनएमडीसी से लौह अयस्क की खरीद बंद कर दी थी, क्योंकि इसकी कीमतें बहुत बढ़ गई थीं।' केवल कुछ बड़ी कंपनियां ही लौह अयस्क की खरीद कर रही थीं। इसकी वजह से इस फैक्टरी से लौह अयस्क का यातायात ठप पड़ गया था।
छोटे स्टील निर्माता उड़ीसा की निजी कंपनियों से लौह अयस्क की खरीदारी कर रहे थे। कंपनी के अधिकारी ने कहा, 'एनएमडीसी की खदान का लौह अयस्क वैश्विक स्तर का होता है, जिसकी वजह से खरीदार एक बार फिर वापस लौटने लगे हैं, जिसकी वजह से मांग बढ़ गई है।' (बीएस हिन्दी)
07 नवंबर 2009
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