November 06, 2009
जिन धातुओं का कारोबार लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में नहीं होता, उन्हें छोटी धातुएं (माइनर मेटल्स) क्यों कहा जाता है?
छह मूल धातुओं और स्टीट के सौदे शुरू हुए ज्यादा दिन नहीं हुए, तब इनके कारोबार को लेकर संदेह और चिंताएं जताई जा रही थीं। धातुओं के परिवार में आने वाली तमाम धातुओं को तथाकथित छोटी धातुओं की श्रेणी में डाल दिया जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि अब इस धारणा में बदलाव आ रहा है।
'छोटी धातु' नाम दिए जाने से उन लोगों को चिढ़ होती है, जो उन संबंधित धातुओं के उत्पादन, कारोबार में लगे हैं। इसमें कोबाल्ट, मॉलिबिड्नम, फेरो क्रोमिक आदि शामिल हैं, जिनका महत्व क्रमिक रूप से बढ़ता जा रहा है।
छोटी धातुओं की मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, इसमें एयक्राफ्ट एलॉय और कंप्यूटर के सामान तैयार में काम आने वाली धातुएं, मोबाइल फोन की बैटरी बनाने में काम आने वाली धातुएं शामिल हैं। अगर फेरो एलॉय समूह के बारे में ही विचार किया जाए तो इनकी मांग में आने वाले दिनों में बढ़ोतरी होगी, क्योंकि इन मिश्र धातुओं की जरूरत स्टेनलेस स्टील को मोरचा मुक्त बनाने के लिए पड़ती है।
साथ ही इनका प्रयोग कार्बन स्टील की मजबूती बढ़ाने के लिए भी होता है। लंदन के माइनर मेटल्स ट्रेड एसोसिएशन के हाल ही में चेयरमैन रहे चार्ल्स स्विंडन इन नाम से बहुत पीड़ित महसूस करते हैं और कहते हैं कि इस नाम से उन धातुओं का महत्व कम होता है, जिनको वास्तव में सम्मान मिलना चाहिए- क्योंकि इनका प्रयोग बहुत ही महत्वपूर्ण कामों में होता है।
कुछ छोटी धातुओं की आपूर्ति और कीमतों को लेकर तो बहुत अनिश्चितता है, क्योंकि ये प्रमुख रूप से अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में पाई जाती हैं, जहां राजनीतिक अस्थिरता बहुत ज्यादा है। कारोबारी और उपभोक्ता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि सरकारें खनन संसाधनों का राष्ट्रीयकरण कर सकती है।
इन धातुओं के कारोबार की मात्रा में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इनके कारोबार के लिए अभी कोई टर्मिनल मार्केट नहीं है। इनके सौदे 6-12 महीने तक के दीर्घावधि सौदे होते हैं। सौदे अक्सर उत्पादकों और अंतिम उपभोक्ताओं के बीच होते हैं। लेकिन इसके बावजूद हाजिर बाजार में कुछ मात्रा में सौदे भी होते हैं।
आखिर इनके कारोबार में ऐसी स्थिति में एमएमटीए की क्या भूमिका हो सकती है? एमएमटीए का काम पैकेजिंग, उनकी निगरानी, अशुध्दता का स्तर देखने, यातायात प्रबंधन और गोदाम की सुविधा मुहैया कराना है। एसोसिएशन का कनहा है कि उत्पादकों और वास्तविक उपभोक्ताओं के बीच होने वाले सौदे सामान्यतया दिशानिर्देशों के अनुरूप होते हैं।
सौदे की समरूपता अच्छा है। लेकिन इन दोनों पक्षों के बीत मोल तोल भी होता है, जिसमें बेहतर मूल्य के रास्ते निकाले जाते हैं। कीमतों को लेकर रास्ता निकल गया है और एमएमटीए अब एलएमई से इस बारे में बातचीत करने में लगा है कि 12 छोटी धातुओं की ऑनलाइन कीमतें व्यक्तिगत बोली या ऑफर मूल्य के आधार पर तय हों।
एलएमई वारंट्स के हस्तांतरण और रखरखार की क्षमता से कीमतों की खोज में मदद मिलेगी। लेकिन आखिर ऐसी क्या बात है कि छोटी धातुओं के कारोबार से एलएमई के 2008 में हुए कारोबार की तुलना में ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं की जा रही है।
एलएमई के इस विभाग के मुख्य कार्यकारी मार्टिन एबोट ने खुद कहा, 'मेरा मानना है कि हमें इस बात की बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए की छोटी धातुओं के कारोबार से एलएमई के कुल कारोबार में बहुत ज्यादा बदलाव आने वाला है। वे तांबा कभी नहीं हो सकतीं। अगर सभी को मिला लें तो भी वे जस्ता नहीं हो सकतीं।'
एबोट का कहना है कि इन धातुओं को शामिल किए जाने से एक फायदा जरूर होगा कि हमारे सदस्यों को कारोबार करने के लिए उत्पादों की संख्या मिलेगी। कोबाल्ट और मॉलिबिड्नम के सौदे शुरू होने के बाद कुछ अन्य छोटी धातुओं के कारोबार की भी शुरुआत होगी।
छोटी धातुओं के कारोबार की ओर कदम बढ़ना एक सकारात्मक संदेश है। एबोट का कहना है कि 'अगर हम कारोबार को इस रूप में देखें कि धातुएं एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं तो इस कारोबार का सकारात्मक मतलब निकलता है। इससे कारोबार करने वाले लोगों के लिए सहूलियत बढ़ेगी।' (बीएस हिन्दी)
07 नवंबर 2009
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