मुंबई November 06, 2009
इस साल मई से ही ट्रक और बस टायर के आयात में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। हालांकि पिछले साल नवंबर में ही सरकार ने प्रतिबंध लगाया था जिससे मांग को कम करने में मदद मिली।
देश के टायर निर्माताओं की शीर्ष संस्था दिल्ली की ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) के मुताबिक ट्रक और बस टायर का आयात अगस्त में बढ़कर 138,347 इकाई हो गई है जो अप्रैल में 20,222 इकाई थी। इस तरह इसमें 6 गुना इजाफा हुआ है।
चीन के सस्ते टायर के आयात से तेजी आई क्योंकि चीन से आयात अप्रैल के 9,594 टायर के आयात की तुलना में अगस्त के दौरान बढ़कर 100,772 टायर हो गया। इस तेजी की वजह यह थी कि दुनिया के सबसे बड़े ऑटोमोटिव बाजार अमेरिका ने हाल में चीन से टायर के मुफ्त आयात पर ज्यादा शुल्क लगा दिया।
नवंबर 2008 में सरकार ने ट्रक और बस टायर के आयात को (प्रतिबंधित सूची) में डाल दिया था और इसका वास्तविक इस्तेमाल करने वालो को ही आयात की मंजूरी दी गई। इसी वजह से पिछले साल ट्रक और बस टायर के आयात में कमी आई और यह 2008 के अक्टूबर के 68,218 टायर की तुलना में कम होकर दिसंबर में 38,999 टायर हो गया। यह गिरावट लगभग 43 फीसदी थी।
इस साल जनवरी-अप्रैल में इसका औसत लगभग 22,000 टायर प्रति महीने था। हाल में आयात में जो तेजी आई उसकी मुख्य वजह सरकार द्वारा लाइसेंस जारी करने की अधिकता की वजह से हुई। इस वक्त हालांकि लाइसेंस केवल वास्तविक उपयोगकर्ता के लिए ही नहीं बल्कि स्टॉक और बिक्री के लिए भी जारी हुए हैं।
ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के महानिदेशक राजीव बुद्धिराजा का कहना है, 'सरकार ने चीन से टायर के आयात पर प्रतिबंध लगाया था वह बहुत कम दिनों तक ही प्रभावी रहा। पिछले कुछ महीनों से सरकार ने लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को बढ़ाया ही है। इससे पहले वास्तविक उपयोगकर्ता को आयात करने की इजाजत मिली हुई थी। अब लाइसेंस स्टॉक और बिक्री के लिए भी जारी किया जा रहा है।'
उनका कहना है, 'अप्रैल से आयात में बहुत ज्यादा अनुपात में तेजी हो रही है और अब यह आंकड़ा अगस्त 2009 में एक लाख टायर को पार कर चुका है।' विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका ने आयात के विरुद्ध जो टैरिफ लगाया है, इससे यह साफ है चीन भी अब वैकल्पिक बाजार की तलाश में है और भारत के वृद्धि की संभावनाओं को देखते हुए यह एक बेहतर बाजार साबित हो रहा है।
बुद्धिराजा का कहना है, 'हमें नियंत्रण के उपाय करने चाहिए नहीं तो आयात से वृद्धि की संभावनाओं में यह ऐसे वक्त में मुश्किल पैदा कर सकती है जिस वक्त में भारतीय उद्योग मंदी से उबरने में कामयाब रहा है।' (बीएस हिन्दी)
07 नवंबर 2009
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