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12 नवंबर 2009

रिटर्न के मामले में हल्दी ने दी सोने को मात

मुंबई : सोने का चाहे जितना आकर्षण हो, लेकिन रिटर्न के मामले में हल्दी ने इसे पीछे छोड़ दिया है। जून के अंत से लेकर अक्टूबर के अंत तक निकटवर्ती माह के गोल्ड फ्यूचर सौदों ने 10 फीसदी का रिटर्न दिया, जबकि हल्दी ने इस पैमाने पर करीब 100 फीसदी रिटर्न से निवेशकों को मालामाल कर दिया। इसी अवधि में सोने की कीमत 14,451 रुपए प्रति 10 ग्राम से चढ़कर 15,951 रुपए तक पहुंची जबकि हल्दी 5,246 रुपए प्रति क्विंटल से उछलकर 10,476 रुपए हो गई। बहरहाल हो सकता है कि यह मोटा रिटर्न हल्दी में निवेश करने वाले सभी लोगों को न मिला हो, क्योंकि एक ओर जहां पहुंच के मामले में यह सोने से कहीं पीछे है, वहीं समीक्षाधीन अवधि में इसमें उतार-चढ़ाव भी अपेक्षाकृत ज्यादा था। हल्दी के मामले में कीमतें तय करने का दारोमदार भारत पर ही रहता आया है, लेकिन सोने के मामले में इसका कोई वश नहीं चलता। हल्दी की कीमतों के निर्धारण में कुछ ही लोगों की हिस्सेदारी रहती है जबकि सोने के साथ यह काफी खुला मामला है।
कोच्चि की जेआरजी वेल्थ मैनेजमेंट में शोध मामलों के प्रमुख हरीश गलीपेल्ली ने बताया कि उक्त अवधि के दौरान हल्दी में औसतन रोजाना 2।71 फीसदी का उतार-चढ़ाव रहा, जबकि सोने में यह महज 0.56 फीसदी था। उन्होंने बताया, 'बात यह थी कि हल्दी हर बार नई ऊंचाई छू रही थी। निवेशक धड़ाधड़ बिकवाली कर रहे थे कि क्योंकि उनका मानना था कि कीमतें उस स्तर पर बरकरार नहीं रह पाएंगी। कीमतें जब 6,000 रुपए पर पहुंचीं, तब इसे बहुत ज्यादा माना गया और जब यह 8,000 रुपए के स्तर पर पहुंची तो कहा गया कि अब तो चरम स्तर आ गया। इससे होल्डिंग पैटर्न बदल गया और अगर सोने से तुलना की जाए तो इसकी वजह से मिलने वाले लाभ का दायरा भी तंग हो गया।' गलीपेल्ली की बात से सहमति जताते हुए ज्ञानशेखर त्यागराजन ने कहा, 'ज्यादातर कृषि वस्तुएं मौसमी होती हैं और इनकी कीमतें मांग-आपूर्ति के अंतर से आसानी से प्रभावित हो जाती हैं। इस कारण इन्हें लंबे समय तक रखा नहीं जा सकता है।' गलीपेल्ली ने कहा कि मसालों के मामले में निवेशकों को हो सकता है कि संपूर्ण रिटर्न नहीं मिला हो क्योंकि इन्हें काफी कम अवधि के लिए रखा जाता है। कमजोर डॉलर और विकसित देशों में सस्ती लागत पर रकम की उपलब्धता के कारण सोने में लगातार बढ़ोतरी हो रही है जबकि हल्दी के साथ सोने जैसी बात नहीं है। पहले तो कमजोर मानसून और बाद में अक्टूबर में आई बाढ़ के कारण हल्दी उत्पादन में गिरावट की आशंका से दाम में बढ़ोतरी हुई है। (ई टी हिन्दी)

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