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03 नवंबर 2009

संरक्षण शुल्क लगाए जाने का विरोध

मुंबई November 02, 2009
डिटर्जेंट बनाने में कच्चे माल के रूप में काम आने वाले लाइनर एल्काइल बेंजीन के चीन से आयात पर डॉयरेक्टर जनरल ऑफ सेफगार्ड्स ने 20 प्रतिशत संरक्षण शुल्क लगाने की अनुसंशा की है।
डिटर्जेंट उत्पादक कंपनियों का कहना है कि इस फैसले को अगर अंतिम स्वीकृति मिल जाती है तो इससे साबुन और डिटर्जेंट पावडर की कीमतें प्रभावित होंगी, जिसे 20 करोड़ से ज्यादा घरों में इस्तेमाल किया जाता है।
इससे केवल हिंदुस्तान लीवर जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां ही प्रभावित नहीं होंगी, बल्कि तमाम स्थानीय स्तर पर काम करने वाली छोटी इकाइयों पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा, जहां 5 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
इसके पहले उद्योग जगत को लागत के दबाव का सामना करना पड़ा था। जिंसों की कीमतों में उतार-चढ़ाव का सीधा प्रभाव पड़ा, जिसमें एलएबी और सोडा ऐश शामिल हैं। डिटर्जेंट उत्पादकों का कहना है कि सरकार अगर संरक्षण शुल्क लगाती है तो इससे केवल 4 बड़ी एलएबी उत्पादक कंपनियों को फायदा होगा।
सोडा ऐश के मामले में भी कुछ ऐसा ही है, जो डिटर्जेंट उद्योग में कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल होता है। इसका उत्पादन देश के चार बड़े कारोबारी- टाटा केमिकल्स, जीएचसीएल, निरमा और डीसीडब्ल्यू करते हैं। सरकार ने इस पर अप्रैल में संरक्षण शुल्क लगा दिया था।
फरवरी में स्टैंडिंग बोर्ड ने अपने अध्ययन में पाया था कि घरेलू उत्पादन क्षमता के मुताबिक खपत नहीं हो रही है। इसकी वजह से उत्पादकों के मुनाफे में कमी आई है। बहरहाल डीजीएस की अनुसंशा के बाद सरकार ने अस्थायी रूप से सोडा ऐश पर 20 प्रतिशत संरक्षण शुल्क लगा दिया था।
डीजीएस के इस फैसले से सोडा ऐश के आयातक खासे नाखुश हुए, क्योंकि उनका मानना है कि उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। (बीएस हिन्दी)

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