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03 नवंबर 2009

सेल ने की स्टील की कीमतों में कटौती

कोलकाता November 02, 2009
स्टील अथॉरिटी आफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने फ्लैट उत्पादों के दाम 750-1500 रुपये प्रति टन घटा दिए हैं। यह फैसला सीमेंट की कीमतों में वैश्विक कमी को देखते हुए किया गया है।
वहीं अन्य उत्पादकों को यह फैसला लेना अभी बाकी है क्योंकि ज्यादातर स्टील उत्पादकों का कहना है कि चीन में बाजार धारणा कमजोर होने की वजह से बाजार में थोड़ी मंदी का माहौल है और कीमतों में प्रति टन 500-1,500 रुपये तक की गिरावट हो सकती है।
फिलहाल घरेलू हॉट रॉल्ड क्वॉयल (एचआरसी) की कीमतें 31,000-32,000 रुपये प्रति टन है। इस्पात इंडस्ट्रीज के निदेशक-वित्त अनिल सुरेखा का कहना है कि कीमतों पर दबाव बना हुआ है और हर महीने खरीदारी करने वाले ग्राहकों के लिए एचआरसी की कीमतों में 1,000 रुपये प्रति टन की गिरावट आ सकती है। टाटा स्टील के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी को अभी इस मसले पर फैसला लेना बाकी है।
चीन के बाजार में भी कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है और पिछले महीने यह 500 डॉलर प्रति टन के नीचे भी चला गया था। हालांकि चीन में पिछले हफ्ते से कीमतों में मजबूती आ रही है। इसकी वजह यह है कि साल खत्म होने की वजह से यहां बड़े पैमाने पर डी-स्टॉकिंग हो रही है और यहां के बाजार में भी काफी अस्थिरता है।
सितंबर में औसत वैश्विक एचआरसी कीमतें 590 डॉलर प्रति टन थीं जो अब 550 डॉलर प्रति टन हैं। कोल्ड रोलर्स का कहना है कि एचआरसी निर्माताओं ने ऐसे संकेत दिए थे कि कीमतों में गिरावट हो सकती है। बहरहाल इसकी कीमतों के बारे में भी एक दो दिन के भीतर फैसला हो सकता है।
इंडस्ट्री के सूत्रों का कहना है कि देश में डंपिंग के खतरें की चुनौती भी है। उनका कहना है, 'गैर-परंपरागत बाजार मसलन फ्रांस ने अप्रैल-अगस्त की अवधि के दौरान भारत को एचआरसी का निर्यात 456 डॉलर प्रति टन औसत लैंडिंग कीमत के हिसाब से किया जबकि पश्चिम एशिया और पूर्व देशों की कीमतें 405-420 डॉलर प्रति टन थीं।'
अगर एचआरसी की कीमतों में गिरावट आती है तब कोल्ड रोलर्स भी कीमतों में कमी लाएंगे। भूषण स्टील के प्रबंध निदेशक नीरज सिंगल का कहना है कि ऐसे संकेत मिल रहे थे कि कीमतों में 1,000-1,500 रुपये प्रति टन तक की गिरावट हो सकती है। पिछले महीने भूषण स्टील ने कीमतों में लगभग 500 रुपये प्रति टन की कटौती की थी।
साल के शुरुआत में घरेलू बाजार में स्टील की कीमतों में लगभग 11 फीसदी का इजाफा हुआ। उद्योग के खिलाड़ियों को ऐसा महसूस होता है कि दुनिया भर में राहत पैकेज मिलने की वजह से यह बढ़ोतरी हुई है, ऐसे में वास्तविक मांग में बढ़ोतरी की संभावना है। (बीएस हिन्दी)

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