गन्ना किसानों के आंदोलन और उत्तर प्रदेश सरकार की सख्ती का असर राज्य की निजी चीनी मिलों पर दिखने लगा है। इस हफ्ते यहां की करीब आधा दर्जन निजी चीनी मिलों में गन्ने की पेराई शुरू हो जाएगी। दबाव की रणनीति के तहत राज्य सरकार ने भी 9 नवंबर से पांच सहकारी चीनी मिलों में गन्ने की पेराई शुरू करने का फैसला लिया है। ये सभी मिलें किसानों को राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) देने को तैयार हैं। इसके चलते केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई फेयर एंड रिम्यूनेरेटिव प्राइस (एफआरपी) को इन मिलों ने नकार दिया है। राज्य सरकार ने चालू सीजन के लिए गन्ने का एसएपी 162.50 रुपये से 170 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जबकि केंद्र ने 129.84 रुपये प्रति क्विंटल का एफआरपी तय किया है।
उद्योग सूत्रों के मुताबिक सिंभावली शुगर मिल्स लिमिटेड अपनी दो इकाइयों में 11 नवंबर से पेराई शुरू करेगी। मोदी समूह की चीनी मिलों में भी पेराई शुरू होने की संभावना है। कंपनी गन्ना किसानों को शुरू में एसएपी देगी और उसके बाद वह इन्सेंटिव के रूप में इसके ऊपर भुगतान करने पर विचार कर रही है। दूसरी ओर राज्य सरकार ने रमाला, बागपत, नानौता, नजीबाबाद और सरसावा स्थित सहकारी चीनी मिलों में 9 नवंबर से पेराई शुरू करने का फैसला किया है।
इसके चलते इन मिलों के पास स्थित निजी चीनी मिलों पर भी दबाव बढ़ जाएगा। सहकारी मिलें एसएपी का भुगतान करेंगी और सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में ये भी किसानों को इन्सेंटिव दे सकती हैं।किसानों और सरकार के बीच गन्ना कीमतों को लेकर गतिरोध बना हुआ है। चालू सीजन के लिए किसान एसएपी को काफी कम मान रहे हैं और 280 रुपये प्रति क्विंटल तक की कीमत मांग रहे हैं। जबकि केंद्र का कहना है कि एफआरपी से अधिक कीमत का भुगतान राज्य सरकारें करेंगी। इसके लिए चीनी मिलों को भुगतान करने की जरूरत नहीं है। लेकिन राज्य सरकार ने इससे साफ इनकार कर दिया है।
पंजाब सरकार ने भी राज्य में एसएपी पर ही गन्ने की खरीद करने की इजाजत देने की बात कही है। साथ ही एफआरपी से ऊपर का बोझ चुकाने से इनकार कर दिया है। दूसरी ओर महाराष्ट्र में एक नवंबर से ही 40 चीनी मिलों में पेराई शुरू हो चुकी है। महाराष्ट्र स्टेट को-आपरेटिव शुगर फेडरेशन के प्रबंध निदेशक प्रकाश नायकनवरे ने बताया कि राज्य की 140 मिलों में से 40 में पेराई शुरू हो चुकी है। आगे हर हफ्ते 10 से 15 मिलों में पेराई शुरू हो जाएगी। वहां चालू सीजन के लिए मिलों ने 175 रुपये प्रति क्विंटल का पहला एडवांस किसानों को दिया है।
गन्ने की कमी के कारण चालू पेराई सीजन में देश में चीनी का उत्पादन 160 लाख टन होने की संभावना है जबकि 22 लाख टन बकाया को मिलाकर कुल उपलब्धता 182 लाख टन की बैठेती है। देश में चीनी की सालाना खपत 225-230 लाख टन की होती है। ऐसे में घरेलू आवश्यकता की पूर्ति के लिए करीब 45 से 48 लाख टन चीनी का आयात करना ही पड़ेगा। पेराई शुरू न होने और हाजिर बाजार में चीनी की कमी के कारण फुटकर बाजार में चीनी के दाम बढ़कर 36-38 रुपये प्रति किलो के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)
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