सहारनपुर. गन्ना मूल्य वृद्बि की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन में नया मोड आ गया है। हरियाणा की कांग्रेस सरकार ने उत्तरप्रदेश से ज्यादा गन्ना मूल्य के साथ ही 25 रूपयें प्रति कुंतल अतिरिक्त बोनस की घोषणा कर किसानों को अपने पक्ष में करने का दांव चला है। इसी तर्ज पर चलने की तैयारी में उत्तराखंड भी है।दूसरी ओर प्रदेश के किसान संगठनों के हरियाणा और उत्तराखंड की चीनी मिलों को गन्ना देने की घोषणा ने अधिकारियों के साथ ही प्रदेश सरकार के भी हाथ पांव फूला दिये है। गन्ना मूल्य पर किसानों के निशाने पर आई मायावती सरकार ने रॉ शुगर पर रोक लगाकर अपने आप के किसान हितैषी होने का दावा कर दिया है, वहीं उचित एवं लाभकारी मूल्य की घोषणा से मायावती सरकार पर आस्तीनें चढाने वाली कांग्रेस प्रदेश में बैकफुट पर आ गई है।
हांलाकि कांग्रेस महामंत्री सुशील चौधरी अंबौली ने आज गन्ना मूल्य वृद्बि को लेकर राज्यपाल के नाम कमिश्नर को एक ज्ञापन दिया है। सुशील चौधरी ने बताया कि गन्ना मूल्य पर वह किसानों के थ है और शरद पंवार की किसान विरोधी करतूतों से कांग्रेस आलाकमान के साथ ही सोनिया व राहुल गांधी को 9 नवंबर को मिलकर अवगत करायेंगे।
पश्चिमी उत्तरप्रदेश के किसान संगठनों किसान महासभा, किसान मित्र सभा, भारतीय किसान संघ, फारमर्स फोरम, भारतीय किसान यूनियन व पश्चिमी प्रदेश मुक्ति मोर्चा ने संयुक्त रूप से गुरूवार को सहारनपुर में राज्य व केंद्ग सरकार विरोधी प्रदर्शन में कृषि मंत्री शरद पंवार की शवयात्रा निकाली और 11 नवंबर को बाकायदा उनकी तेरहवीं करने का निर्णय लिया है।
किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राजपाल सिंह ने बताया कि पश्चिमी उत्तरप्रदेश की जलवायु के कारण यहां गन्ने की कम पैदावार के साथ ही रिकवरी भी कम आती है जिससे नया कानून महाराष्ट्र हितैषी व उत्तरप्रदेश विरोधी है और इसके खिलाफ सड़क से संसद तक लडा जायेगा। उन्होने कहा कि मायावती के किसान हितैषी होने की असली परीक्षा भी तब होगी जब सरकार किसानों को पड़ोसी सूबों के बराबर मूल्य दिलवायेगी या दिलवाने में कामयाब होगी या फिर किसानों को कहीं भी अपना गन्ना बेचने की इजाजत देगी।
फारमर्स फोरम के योगेश दहिया ने कहा कि अलख कमेटी के अनुसार किसानों को उनकी जमीन यानि कैपिटल पर 12 फीसद रिटर्न मिलने के हिसाब से ही गन्ने का मूल्य 3०० रूपयें से ज्यादा जाकर बैठता है। उधर भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने गंगोह के रंगैल गांव में अपने गन्ने के ख्ोत में आग लगाकर आत्मदाह करने वाले किसान के घर जाकर मामले को गरमा दिया है। टिकैत ने कहा कि किसानों को हताश होने की जरूरत नहीं है। भाकियू उनके साथ है और वह संसद तक लडाई को ले जायेगी। उन्होंने प्रदेश में एक किलो भी रॉ शुगर नहीं उतरने देने की चेतावनी भी सरकार को दी है।
भारतीय किसान यूनियन ने साफ कर दिया है कि वह अपना गन्ना कोल्हूओं के साथ ही पडोसी राज्यों की मिलों को देगें और अगर उन्हें रोकने की कोशिश की जायेगी तो उसका मुहतोड़ जवाब दिया जायेगा। गन्ना किसानों के सभी संगठनों ने एकजुट हो सरकार विरोधी प्रदर्शनों के तेवरों से साफ हो चला है कि पडोसी राज्यों को गन्ना ले जाते वक्त यदि उन्हें रोका गया तो खूनी संघर्ष की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता।यूनियन के जिलाध्यक्ष चरण सिंह ने बताया कि चीनी मूल्यों में अप्रत्याशित तेजी को दरकिनार भी कर दें तो इस बार किसान को सूखे की मार से पीडित है, वहीं पश्चिम में बिजली व गिरते जल स्तर,खाद व अच्छे बीजों की किल्लत व कमर तोड मंहगाई ने पहले ही किसान की कमर तोड रखी है। गन्नें के भरोसे ही अपनी लड़कियों के हाथ पीले करने वाले पश्चिमी उत्तरप्रदेश के किसान सही मूल्य न मिलने व मिलों के न चल पाने ने किसानों को और व्यथित कर दिया है बता दें कि इस बार तो शादियों के मुहर्त भी सारे नवंबर माह तक ही है। यहीं नहीं, आगे गेंहू की बुवाई भी संकट में घिरती दिख रही है। गन्ने की मार किसान के साथ ही मजदूर व बाजार पर भी साफ दिखने लगी है।बता दें कि हरियाणा सरकार ने हॉल ही में अपने पूर्व घोषित गन्ना मूल्य 185,19० व 195 पर 25 रूपयें प्रति क्विंटल अतिरिक्त बोनस की घोषणा की है वहीं उत्तराखंड के गन्ना मंत्री मदन कौशिक ने भी उत्तरप्रदेश से ज्यादा गन्ना मूल्य दिये जाने का साफ इशारा कर दिया है। फारमर्स फोरम के अध्यक्ष योगेश दहिया ने बताया कि किसानों को राष्ट्रीय कृषि मूल्य आयोग या अलख कमेटी की सिफारशों पर अमल करना चाहिए अन्यथा किसान का गन्ने की ख्ोती से विमुख हो जाना निश्चित है और अगर गन्ना नहीं होगा तो चीनी मिलों के साथ ही राज्य व केंद्ग सरकार भी जनता की जवाबदेही से नहीं बच पायेंगी। (दैनिक भास्कर)
10 नवंबर 2009
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