मुंबई July 05, 2009
आखिर जिंस वायदा कारोबार का नियमन कौन करेगा?
आर्थिक समीक्षा 2008-09 में सुझाव दिया गया है कि सभी वित्तीय बाजारों का नियमन पूंजी बाजार नियामक सेबी द्वारा किया जाना चाहिए। जिंस वायदा कारोबार को वित्तीय बाजार में ही रखा गया है।
ऐसा लगता है कि इसमें संस्थागत सुझावों के अलावा अन्य बातें भी हैं। वित्त मंत्रालत जिंस वायदा को अपने न्याय क्षेत्र में लाने की कोशिश में लगा है, उसी श्रृंखला में इस तरह के संकेत दिए जा रहे हैं। यहां तक कि जब देशव्यापी जिंस वायदा कारोबार शुरू हुआ था, वित्त मंत्रालय की इच्छा इसे नियमित करने की थी, जबकि देश का सबसे पुराना नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) इसे 1954 से देख रहा था।
वायदा बाजार आयोग के अध्यक्ष बीसी खटुआ ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि नियामक उद्देश्यों से जिंस वायदा और वित्तीय बाजारों को एक में शामिल करने का दुनिया में कोई उदाहरण नहीं है। जिंस वायदा कारोबार चलाने के लिए अलग तरह के तर्क काम करते हैं।
इक्विटी और डेट मार्केट में पूंजी इकट्ठा करना और पूंजी तैयार करना प्रमुख उद्देश्य होता है, वहीं जिंस वायदा में मूल्य जोखिम की हेजिंग प्रमुख होता है। आपदा प्रबंधन अन्य वित्तीय बाजारों में दूसरे स्थान पर आता है।
खटुआ ने कहा कि इक्विटी बाजार विकास के लिए जोखिम पर भी पूंजी उठाता है और उसके बाद बढ़ी हुई कीमतें चिंता का विषय नहीं होती हैं, अगर वह समुचित तरीके से हो। वहीं जिंस बाजार में अगर कीमतों में बढ़ोतरी होती है तो इसका सीधा असर उपभोक्ता पर पड़ता है और अगर कीमतों में गिरावट आती है तो उससे किसान प्रभावित होता है।
ऐसी स्थिति में दोनों के बीच समन्वय स्थापित करना जरूरी होता है। इसलिए ओपन इंट्रेस्ट, प्राइस सीलिंग या सर्किट फिल्टर जैसे नियामक तरीके इक्विटी और कमोडिटी डेरिवेटिव्स में समान हैं, लेकिन इसके आधार पर एक नियामक द्वारा दोनों बाजारों का संचालन सही नहीं ठहराया जा सकता है। यहां तक कि दोनों तरह के डेरिवेटिव्स में अंतर्निहित परिसंपत्तियां भी अलग अलग होती हैं।
वित्तीय बाजार, जिसमें इक्विटी भी शामिल है, अंतर्निहित परिसंपत्ति प्रतिभूतियां होती हैं, वहीं जिंस वायदा में संबंधित जिंस ही वास्तविक संपत्ति होती है। खटुआ ने कहा कि जिसों को परिसंपत्ति के रूप में देखने का कोई तर्क नहीं है। शेयर जीवन भर के लिए शेयर बने रहते हैं और डेट के मामले में भी परिपक्वता तक ऐसा ही होता है।
जिंस बाजार को अलग से देखे जाने की जरूरत है, न केवल नियमन बल्कि वायदा और वास्तविक जिंस के बारे में भी। वायदा कारोबार हमेशा हाजिर बाजार से संकेत लेता है और उसी आधार पर वायदा भाव प्रभावित होता है। जिंसों का वायदा कारोबार 7500 मंडियों में फैला हुआ है और इसकी कोई देशव्यापी कीमत नहीं होती है, हर जिंस का अलग-अलग बाजारों में अलग-अलग भाव होता है।
आर्थिक समीक्षा में यह सही कहा गया है कि देश की सभी कृषि मंडियों को इलेक्ट्रॉनिक कारोबार से जोड़ा जाना चाहिए। स्पॉट एक्सचेंज देशव्यापी जिंस वायदा एक्सचेंज होते हैं और वे स्थानीय मंडियों के साथ मिलकर कारोबार कर सकते हैं। (BS Hindi)
06 जुलाई 2009
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