कुल पेज दृश्य

09 जुलाई 2009

ऐसे में किसान की टूट जाएगी कमर

नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। सावन आ गया। लेकिन बारिश नहीं। उत्तर भारत के अधिकांश हिस्से मानसून की कमजोरी के शिकार हैं। अगर पांच-दस दिन यही हालात रहे तो दो राय नहीं कि अन्न के लिए तरसेंगे यह इलाके। गर्मी से जनजीवन में अस्त-व्यस्तता है वह दीगर।
सूखे की मार से सर्वाधिक प्रभावित उत्तर प्रदेश है। यहां 30 जिले बारिश के लिए तरस रहे हैं। सूबे के 16 जिले ही ऐसे हैं, जहां खेती लायक बारिश हुई है। मानसून के इस रवैये ने शासन की नींद उड़ा दी है। 15 जुलाई तक पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो सरकार की तैयारी आकस्मिक योजना लागू करने की है। इसके तहत धान की रोपाई न हो पाने की स्थिति में खाली खेतों में वैकल्पिक फसलों के के लिए बीज व अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।
पैदावार में 30 फीसदी कमी तय
सूबे के हालात से जूझ रहे उत्तराखंड में अब से खरीफ की फसल में 30 फीसदी की कमी तय मानी रही है। मानसून का मिजाज ऐसे ही बिगड़ा रहा तो पैदावार में कमी 50 फीसदी तक पहुंच सकती है। मौसम इस मर्तबा उत्तराखंड के साथ सौतेला बर्ताव कर रहा है। प्री-मानसून के लिहाज से जून में राज्य में सामान्य से भी काफी कम वर्षा हुई है। फिर मानसून भी विलंब से पहुंचा और जब आया तो आधे-अधूरे मन से। जैसी अपेक्षा थी, उस लिहाज से वह बरस नहीं रहा है। राज्य मौसम केंद्र के निदेशक डा. आनंद शर्मा ने भी माना कि सूबे में इस बार अब तक लगभग 40 फीसदी बारिश कम हुई है।
साठ फीसदी फसल बर्बाद
हिमाचल प्रदेश में बारिश की लंबी गैरहाजिरी फसलों पर कहर बन कर टूटी है। हर जिले में लगभग साठ फीसदी नुकसान का अनुमान सरकारी स्तर पर लगाया है। जबकि वास्तविक आंकड़ा इससे अधिक भी हो सकता है। नुकसान का आकलन अभी जारी है। हालांकि बुधवार को हुई बारिश ने कुछ क्षेत्रों में राहत दी है। लेकिन कृषि विज्ञानी इसे ऊंट के मुंह में जीरा मान रहे हैं। मंडी जिले में प्रारंभिक अनुमान साठ फीसदी से अधिक नुकसान के हैं। कांगड़ा में उपायुक्त ने हाल ही में भेजी रिपोर्ट में साठ फीसदी फसलों के नष्ट होने का उल्लेख किया है।
मौसम विभाग भी निराश
पांच साल से अच्छी बारिश के कारण बेहतर पैदावार कर रहे पंजाब किसानों को इस बार निराशा का सामना करना पड़ रहा है। चंडीगढ़ में मौसम विभाग के निदेशक डा. चत्तर सिंह ने बताया है कि इस बार कम बारिश होने की आशंका है। डा. सिंह के अनुसार इस वर्ष प्रदेश में पहली जून से प्रथम जुलाई तकमात्र 29 मिमी तथा पड़ोसी राज्य हरियाणा में इस अवधि के दौरान 27 मिमी बारिश हुई है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष इन दिनों तक पंजाब में 218 मिमी और हरियाणा में 186 मिमी बारिश दर्ज कर गई थी।
नहर-जलाशय सूखे
काफी विलंब से आए मानसून ने झारखंड के भी किसानों की बेचैनी बढ़ा दी है। पलामू, गढ़वा, चतरा और लातेहार को तो सूखा क्षेत्र भी घोषित कर दिया गया है। पिछले साल की तुलना में कम बारिश होने के कारण नहरों में भी पानी नहीं है। जलाशयों की भी हालत भी खस्ता है। सिंचाई विभाग ने भी हाथ खड़े ही कर दिए हैं। हालांकि जुलाई माह में बारिश हुई है, पर खेती के लिए नाकाफी। पिछले वर्ष जून व जुलाई के प्रथम सप्ताह में जहां औसत वर्षापात 200 मिमी से था, वहीं इस वर्ष जून में 40 व चालू माह में 50 मिमी के आसपास है। प्रत्येक जिले में खरीफ फसल का उत्पादन लक्ष्य दस हजार मीट्रिक टन के आसपास निर्धारित है। बारिश की कमी से लक्ष्य का मुश्किल से 25 फीसदी उत्पादन संभव है। कृषि वैज्ञानिक किसानों को सौ दिनी फसल लगाने की सलाह दे रहे हैं, ताकि उन्हें ज्यादा नुकसान नहीं हो।
दिल्ली का दम फूल रहा गर्मी से
नई दिल्ली: झलक दिखाकर मानसून का गुम हो जाना दिल्ली वासियों पर भारी पड़ रहा है। लगातार तीन दिनों से पारा 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर ही चढ़ा रहा है। नतीजतन पूरा शहर बुधवार को भी झुलसता रहा।
मौसम विभाग ने गुरुवार रात से कुछ राहत की उम्मीद बंधाई है। बुधवार को राजधानी का तापमान मंगलवार की अपेक्षा कुछ कम था। लेकिन 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा। आ‌र्द्रता भी ऊपर चढ़ी रही। खासकर दोपहर में सड़कों पर यातायात भी कम नजर आया। (Jagran)

कोई टिप्पणी नहीं: