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10 जुलाई 2009

मानव निर्मित फाइबर पर नहीं बढ़ेगा शुल्क बोझ

मानव निर्मित फाइबर पर उत्पाद शुल्क में की गई बढ़ोतरी को वापस लिए जाने के आसार नजर आ रहे हैं। सरकार इसे वापस लेने के मूड में है। इस संबंध में कपड़ा मंत्रालय की ओर से वित्त मंत्रालय को अवगत करा दिया गया है। संसद के वर्तमान सत्र में भी इसकी घोषणा संभव है। बजट में इस पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने की घोषणा के बाद से ही कपड़ा उद्योग इसे वापस लेने की मांग लगातार कर रहा है। सरकार ने अपने प्रोत्साहन पैकेज के तहत पहले इस शुल्क को आठ फीसदी से घटाकर चार फीसदी कर दिया था। अब इसे पुन: उसी स्तर पर ले जाने से उद्योग जगत नाराज है। इस मांग को लेकर कपड़ा मंत्रालय का रुख भी सकारात्मक है। कपड़ा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि यदि संसद के वर्तमान सत्र में यह मुद्दा उठता है तो मंत्रालय भी इस बढ़ोतरी को वापस लेने का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को सौंप सकता है। अभी यह मसला विचार-विमर्श की प्रक्रिया में है। हालांकि, इस बारे में उद्योग जगत और सांसदों की राय के बाद ही कोई अंतिम फैसला लिया जाएगा। भारत का कपड़ा उद्योग देश में उत्पादित 1.30 अरब किलो मानव निर्मित फाइबर का इस्तेमाल करता है। इसके अलावा, इस मात्रा का लगभग दस फीसदी विदेश से आयात किया जाता है। नए फैसले का सबसे ज्यादा असर देसी फाइबर उत्पादकों पर पड़ने की संभावना है। देसी कपड़ा उत्पादक अपने निर्यात में कमी की वजह से पहले से ही प्रोत्साहन पैकेज मांगते रहे हैं। अब एक्साइज ड्यूटी में इस वृद्धि से उन पर दोहरी मार पड़ रही है।प्राकृतिक फाइबर को भी राहत!बिजनेस भास्कर नई दिल्लीनई दिल्ली। सरकार अगर मानव निर्मित फाइबर पर उत्पाद शुल्क को घटाकर पुन: चार फीसदी कर देती है तो उसे प्राकृतिक फाइबर पर भी उत्पाद शुल्क को शून्य करना होगा। फिलहाल मानव निर्मित फाइबर पर आठ फीसदी और प्राकृतिक फाइबर पर चार फीसदी उत्पाद शुल्क लागू है। शुल्क बढ़ाते समय सरकार ने तर्क दिया था कि दोनों फाइबर की कीमतों को एकसमान रखने के लिए ही यह कदम उठाया जा रहा है। ऐसे में अब यदि मानव निर्मित फाइबर पर उत्पाद शुल्क घटता है तो प्राकृतिक फाइबर पर शुल्क को भी शून्य करना होगा। (Business Bhaskar)

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