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07 जुलाई 2009

आयात शुल्क न लगने से खाद्य तेलों में भारी गिरावट

बजट में आयातित खाद्य तेलों पर शुल्क न लगाने से सोमवार को थोक और वायदा बाजार में गिरावट दर्ज की गई। दिल्ली बाजार में सरसों तेल के दाम 480 रुपये से घटकर 470 रुपये प्रति दस किलो रह गए जबकि इंदौर में सोया रिफाइंड तेल के भाव 460 रुपये से घटकर 455 रुपये और कांडला पोर्ट पर क्रूड पाम तेल के दाम 340 रुपये से घटकर 320 रुपये प्रति दस किलो रह गए। एनसीडीईएक्स पर अगस्त महीने के वायदा अनुबंध के भाव 475 रुपये से घटकर 461 रुपये, सरसों तेल के भाव अगस्त वायदा में 536 रुपये से घटकर 528 रुपये प्रति दस किलो रह गए। सोयाबीन के अगस्त महीने के वायदा में भी 64 रुपये की गिरावट आकर भाव 2431 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।बजट में खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क न लगाकर सरकार ने कीमतों को स्थिर रखने की कोशिश की है। वैसे भी अगर सरकार आयात पर शुल्क लगाती तो उसका फायदा किसान के बजाय आयातकों को ही होता क्योंकि तिलहनों की नई फसल आने में अभी करीब तीन से चार महीने का समय शेष है। जबकि चालू तेल वर्ष के पहले सात महीनों (नवंबर से मई) में भारत में खाद्य तेलों का आयात 70 फीसदी बढ़ा है। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सीईए) के अध्यक्ष अशोक सेतिया ने कहा कि बजट से खाद्य तेल उद्योग को निराशा हुई है। भारत का तिलहन उत्पादन 260-270 लाख टन पर स्थिर बना हुआ है जबकि आयातित खाद्य तेलों पर निर्भरता लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले साल करीब 63 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ था लेकिन आयातित तेलों पर शुल्क शून्य होने के कारण चालू तेल वर्ष में आयात बढ़कर 80 लाख टन होने की संभावना है। अगर इसी तरह से हमारी आयात पर निर्भरता बढ़ती रही तो सरकार कृषि क्षेत्र में जो चार फीसदी विकास दर की बात करती है वो कैसे संभव हो पाएगी। सेंट्रल आर्गनाइजेशन फार ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (कोएट) के अध्यक्ष देविश जैन ने बताया कि खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क न लगाने से उद्योग और किसान दोनों को निराशा हुई है। इस समय खरीफ फसलों की बुवाई का समय चल रहा है अत: किसानों का रुझान तिलहनों की बुवाई पर कम रहेगा। इस समय फुटकर में सरसों तेल 62-65 रुपये, रिफाइंड पाम तेल 50-52 रुपये, सोया रिफाइंड तेल 62-65 रुपये, मूंगफली तेल 82-85 रुपये तथा बिनौला तेल के भाव 62-65 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं। अगर सरकार आयातित खाद्य तेलों पर 20 फीसदी का शुल्क भी लगाती तो घरेलू बाजार में इनकी कीमतों में लगभग चार-पांच रुपये प्रति किलो की तेजी और आ जाती। सीईए के मुताबिक चालू तेल वर्ष के पहले सात महीनों में खाद्य तेलों का आयात 50.43 लाख टन का हो चुका है। पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले इसमें 70 फीसदी का भारी इजाफा हुआ है। पिछले साल की समान अवधि में 29.73 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ था। हालांकि आयात में भारी बढ़ोतरी के बावजूद नवंबर से अब तक आयातित खाद्य तेलों के भावों में करीब 40 फीसदी की भारी तेजी आ चुकी है। नवंबर में आरबीडी पामोलीन के भाव 565 डॉलर प्रति टन (भारतीय बंदपगाह पर) पर चले गए थे। (Business Bhaskar....R S Rana)

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