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04 जुलाई 2009

किसान खुश, बढ़ेगी मिठास

मुंबई July 03, 2009
गन्ने का सांविधिक न्यूनतम मूल्य (एसएमपी) बढ़ाने के सरकार के निर्णय से उत्साहित किसान गन्ने का रकबा बढ़ाने की सोच रहे हैं।
पिछले साल कई कारणों से गन्ना किसानों की खासी संख्या गन्ने की बजाय तिलहन, कपास जैसे अन्य फसलों का रुख कर लिया था। महाराष्ट्र को ही लें। यहां के किसान जून में मानसून शुरू होते ही 6 माह और डेढ़ साल में तैयार होने वाली फसल उगाने की सोच रहे हैं।
लेकिन जैसे ही सरकार ने गन्ने की एसएमपी में 33 फीसदी की बढ़ोतरी करने का फैसला लिया वैसे ही किसानों ने एक बार फिर गन्ना उपजाने का फैसला कर लिया। भारतीय चीनी मिल संघ यानी इस्मा के महानिदेशक एस. एल. जैन ने बताया कि अब गन्ना का रकबा बढ़ने के आसार हैं।
गौरतलब है कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 26 जून को 32.74 फीसदी की बढ़ोतरी करने का फैसला लिया था। यह बढ़ोतरी गन्ना के 2009-10 सीजन, जो अक्टूबर से सितंबर तक चलता है, के लिए प्रभावी होना है। अब गन्ने की संशोधित एसएमपी 107.76 रुपये प्रति क्विंटल होगी, जो इसके साल भर पहले 81.18 रुपये थी।
गन्ने के उत्पादन को देखें तो पिछले साल इसमें करीब आधे की कमी हुई और यह घटकर 1.47 करोड़ टन हो गई। एसएमपी को 9.5 फीसदी की रिकवरी से जोड़ा गया है। इसका मतलब कि किसानों को रिकवरी में प्रति 0.1 फीसदी का सुधार करने पर 1.13 रुपये का प्रीमियम मिलेगा।
2007-08 सीजन के दौरान चीनी का उत्पादन 2.85 करोड़ टन दर्ज किया गया था और तब चीनी की कीमत घटकर 14 रुपये प्रति किलो रह गई थी। एक बड़े चीनी उत्पादक ने बताया कि गन्ने की एसएमपी बढ़ने से किसानों का विश्वास बढ़ा है। उनके मुताबिक, सरकार ने बहुत सही समय पर सही फैसला लिया है।
हालांकि देश में चीनी के सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश ने गन्ने की एसएपी में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। दरअसल पिछले साल ही गन्ने की एसएपी बढ़ाकर 140 रुपये प्रति क्विंटल कर दी गई थी। यहां की चीनी मिलों का कहना है कि वे पहले से ही जरूरत से ज्यादा भुगतान कर रहे हैं और इसके चलते वे वित्तीय संकट में पड़ गए हैं।
राज्य के एक अधिकारी ने भी बताया कि चीनी की एसएपी में किसी प्रकार की वृद्धि करने से मिलों के सामने मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी। महाराष्ट्र में किसानों द्वारा कोऑपरेटिव तरीके से चलाई जाने वाली चीनी मिलों की भरमार है। इसलिए किसानों को फायदा पहुंचाने वाली कोई भी नीति स्वागतयोग्य होती है।
महाराष्ट्र स्टेट फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज के अध्यक्ष प्रकाश नायकनवारे ने बताया कि ऐसे निर्णय से गन्ने का रकबा बढ़ाने में मदद मिलती है। (BS Hindi)

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