02 जुलाई 2009
आर्थिक समीक्षा 2008-09 :मंदी की मार से राजकोषीय घाटे में वृद्धि
नई दिल्ली सरकार ने गुरुवार को संसद में पेश वर्ष 2008-09 की आर्थिक समीक्षा में उन उपायों का खुलासा किया है जो उसने वैश्विक मंदी के नकारात्मक असर से भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाए रखने के लिए किए हैं।समीक्षा में कहा गया है कि वैश्विक मंदी के नकारात्मक असर का मुकाबला करने के लिए सरकार ने मांग बढ़ाने के लिए और रोजगार सृजन व सरकारी परियोजनाओं पर व्यय बढ़ाने के लिए खासा धन खर्च किया किया। परिणामस्वरूप राजकोषीय घाटे में वृद्धि हुई और यह 2008-09 में सकल घरेलू उत्पाद का 5.2 फीसदी हो गया जबकि 2007-08 में यह 2.7 फीसदी था।समीक्षा में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक स्थिति ठीक करने और नकदी बढ़ाने के अनेक उपाय किए जिनमें नकद आरक्षी अनुपात, सांविधिक तरलता अनुपात और महत्वपूर्ण नीतिगत दरों में कटौती शामिल है। इसका उद्देश्य उत्पादक क्षेत्रों की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए बाजार में नकदी का प्रवाह सुगम करना था।समीक्षा में कहा गया है कि सरकार ने वैश्विक मंदी का असर दूर करने के लिए कई कदम उठाए जिनमें श्रम प्रधान निर्यातों के लिए ज्यादा ऋण की उपलब्धता, लदान से पहले और बाद के लिए अधिक ऋण मुहैय्या करवाना और सीमा उत्पाद कर की वापसी अदायगी शामिल है। (Samay)
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