26 मार्च 2009
भारत से निर्यात शुरू होने की आशा से विदेश में चावल नरम
एशियाई अनाज बाजारों में आने वाले दिनों के दौरान मिलाजुला रुख बना रह सकता है। डॉलर में थोड़ी गिरावट आने से शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड के कांट्रेक्टों में मामूली मजबूती दर्ज की गई है। हालांकि हाजिर बाजारों में सप्लाई कमजोर पड़ गई है और इससे मांग का दबाव थोड़ा बढ़ सकता है। इस दौरान चावल के भाव में नरमी बने रहने की संभावना है। पिछले दिनों सीबॉट में चावल मई वायदा करीब 25 सेंट गिरकर 12.44 डॉलर पर निपटा। कारोबारियों के मुताबिक आने वाले दिनों में यहां चावल की कीमतों में और गिरावट देखी जा सकती है। जल्द ही इसका अगला पड़ाव 12 डॉलर रहने का अनुमान है। दरअसल थाईलैंड में चावल का तगड़ा स्टॉक और भारत द्वारा चावल निर्यात पर लगे प्रतिबंध हटने की संभावना से आगे चावल पर दबाव बने रहने की संभावना है। इस बीच वियतनाम से भी चावल का निर्यात बढ़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। यह चावल यदि वैश्विक बाजार में पहुंचता है तो इससे भी कारोबार पर असर पड़ सकता है। इस साल की पहल तिमाही में वियतनाम से करीब 17.43 लाख टन चावल का निर्यात होने की संभावना है जो पिछले साल के मुकाबले करीब 71.3 फीसदी ज्यादा है। जबकि चालू मार्च माह के दौरान यहां से करीब सात लाख टन चावल निर्यात होने की उम्मीद है। जिसकी कीमत करीब 31.5 करोड़ डॉलर होगा। इस दौरान भारत में इस साल करीब 9.9 करोड़ टन चावल उत्पादन की संभावना है। सरकार यहां एक मार्च तक करीब 2.13 करोड़ टन चावल की खरीद कर चुकी है। मौजूदा समय में यहां करीब 1.528 करोड़ टन गेहूं का स्टॉक है। ऐसे में यहां गेहूं से गोदाम पहले से ही भर हुए हैं। इस बीच यहां इस साल भी 7.8 करोड़ टन गेहूं उत्पादन की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में माना यह जा रहा है कि चुनाव बाद नई सरकार गेहूं के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटा सकती है। जिससे वैश्विक बाजारों में गेहूं के कारोबार पर भी असर पड़ सकता है। (Business Bhaskar)
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