मुंबई 03 26, 2009
पॉलिमर निर्माता अभी भी मांग में गिरावट की समस्या से जूझ रहे हैं। हालांकि पिछले दो महीने से कच्चे तेल की कीमतों में सुधार हुआ है, फिर भी इसकी कीमतें नियंत्रण में हैं।
चालू वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में, वैश्विक रूप से ज्यादातर रिफाइनरीज ने उत्पादन में कटौती की है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि पेट्रोकेमिकल्स और पॉलिमर की मांग में मंदी के चलते खासी कमी आई है।
कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन पॉलिमर की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हुई। पॉलिमर्स का प्रयोग प्लॉस्टिक के विभिन्न उत्पादों को तैयार करने के लिए कच्चे माल के रूप में होता है। यह कच्चे तेल का उत्पाद है।
देश के ज्यादातर प्लॉस्टिक प्रसंस्करणकर्ता इस समय मांग में कमी की समस्या का सामना कर रहे हैं। पॉलिप्रोपलीन (पीपी), पॉली विनाइल क्लोराइड (पीवीसी) पॉली एथिलीन (पीई) जैसे पॉलिमर की मांग में कमी आई है।
हकीकत यह है कि पॉलीप्रोपलीन की कीमतों में पिछले 2 महीनों के दौरान कमी आई है। भारतीय बाजार में इसकी कीमत जनवरी में 62.65 रुपये थी जो अब 52.60 रुपये पर पहुंच गई है। घरेलू विनिर्माताओं की शिकायत है कि भारत में इस मैटीरियल को डंप किया जा रहा है, जिसके चलते कीमतों में तेज गिरावट आई है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा हाल ही में दाखिल किए गए और हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स द्वारा समर्थित आवेदन के बाद सरकार ने इस पर एंटी डंपिंग शुल्क लगाने के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की है। यही दोनों कंपनियां भारत में पीपी की उत्पादक हैं, जिन्होंने आरोप लगाया था कि सऊदी अरब, ओमान और सिंगापुर इसकी डंपिंग भारत में कर रहे हैं।
सरकार डंपिंग के आरोपों की जांच कर रही है, वहीं घरेलू प्लास्टिक प्रसंस्करणकर्ताओं की शिकायत है कि इस तरह के किसी भी कदम से देश के प्रसंस्करणकर्ताओं के हितों को नुकसान पहुंचेगा। पिछले सप्ताह के अंत में प्लास्टिक प्रसंस्करणकर्ताओं के प्रमुख संगठनों ने मुंबई में सम्मेलन किया था और उद्योग से जुड़े विभिन्न मसलों पर चर्चा की थी, इसमें पीपी पर एंटी डंपिंग शुल्क लगाए जाने का मसला भी शामिल था। सभी प्रसंस्करणकर्ताओं ने इस कदम का पुरजोर विरोध किया था।
अन्य पॉलीमर्स की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है। पॉलीस्टरीन, जिसका इस्तेमाल पीपी के एक विकल्प के रूप में कई जगहों पर किया जाता है, तीन महीनों में करीब 10 प्रतिशत महंगा हुआ है। पीवीसी की कीमतें करीब स्थिर हैं।
उद्योग जगत से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि वैश्विक रूप से ज्यादातर रिफाइनरीज ने उत्पादन में कटौती की है, क्योंकि अक्टूबर की मंदी से वे डरे हुए थे। इस समय बाजार में आपूर्ति कम हो गई है, इसके बावजूद उत्पागदन में बढ़ोतरी नहीं की गई है।
सूत्र ने कहा कि अब कच्चे तेल की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं इसके बावजूद पॉलीमर्स की कीमतें अभी ज्यादा नहीं हुई हैं, क्योंकि भारत में मांग बहुत कम हो गई है।
कच्चे तेल की कीमतों का असर
कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद पॉलिमर के दाम स्थिर मंदी के चलते मांग में आई कमी, जनवरी से लगातार हो रही है कीमतों में गिरावट (BS Hindi)
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