कोलकाता 03 18, 2009
उत्तरी बंगाल के दुआर्स और असम के ऊपरी हिस्सों के उत्तरी भाग के चाय उत्पादक क्षेत्रों में समय पर बारिश नहीं होने के कारण नई चाय के आने में लगभग 2 सप्ताह का विलंब हो गया है।
इससे संकेत मिलता है चाय का उत्पादन अनुमान के मुकाबले कम हो सकता है। नवंबर से, दुआर्स, कछार और ऊपरी असम के उत्तरी हिस्से में बारिश नहीं हुई है।
परिणामस्वरूप, यहां लगभग सूखे जैसी स्थिति हो गई है। ऊपरी असम के उत्तरी हिस्से में ही केवल थोड़ी बहुत बारिश हुई है और नई चाय सर्वप्रथम इसी क्षेत्र से आई थी। हालांकि, औद्योगिक प्रतिनिधियों का कहना था कि अब उत्तरी हिस्सा ही सुरक्षित है। सूत्रों ने कहा, 'पहली बारिश के बाद सामान्य तौर पर बारिश होना जारी रहता है लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ।'
अब, उद्योग का अनुमान है कि नई फसल बाजार में दो सप्ताह बाद आ पाएगी। भारतीय चाय बोर्ड के अध्यक्ष बासुदेव बनर्जी ने कहा कि बोर्ड 15 अप्रैल तक इंतजार करने के बाद यह निर्णय करेगा कि फसल अनुमानों की समीक्षा किए जाने की जरूरत है या नहीं।
साल 2008 के लिए 9,620 लाख किलोग्राम उत्पादन, 2,000 लाख किलोग्राम के निर्यात, 200 लाख किलोग्राम के आयात और 8,250 लाख किलोग्राम की खपत का अनुमान है। कोलकाता टी ट्रेडर्स एसोसिएशन के भूतपूर्व अध्यक्ष आजम मोनेम ने कहा कि पिछली दो नीलामियों को नई आवक के अभाव और पुरानी चाय की वजहों से टाल दिया गया।
दिसंबर का उत्पादन नीलामी की पिछली बिक्री की तुलना में 3 से 5 रुपये प्रति किलोग्राम कम था और पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 15 से 20 रुपये प्रति किलोग्राम अधिक था। दिसंबर में दुआर्स और असम चाय की औसत कीमतें 90 से 95 रुपये प्रति किलोग्राम थीं।
पिछले सीजन की शुरुआत 60 लाख किलोग्राम की कमी के साथ हुई थी और अनुमान है कि इस सीजन की शुरुआत 200 लाख किलोग्राम की कमी के साथ होगी। हालांकि, अगर बारिश नहीं हुई तो इस कमी में और इजाफा हो सकता है।
मोनेम ने कही कि दक्षिण भार की स्थिति भी लगभग ऐसी ही है। उन्होंने कहा, 'अफ्रीका में भी बारिश नहीं हुई है और ऐसा लगता है वैश्विक स्तर पर मौसम में परिवर्तन हुआ है।' कुछ औद्योगिक प्रतिनिधियों ने कहा कि पिछले साल किसी भी चाय की बिक्री अधिक कीमतों पर हुई थी लेकिन इस बार आशाहीनता उस स्तर की नहीं थी। (BS Hindi)
19 मार्च 2009
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