मुंबई 03 18, 2009
स्पंज आयरन की कीमतों में एक महीने के भीतर 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि अगले मानसून के पहले तक निर्माण गतिविधियां तेज रहने की उम्मीद हैं, इसके बावजूद स्टील उत्पादकों की ओर से मांग में कमी आई है।
इस समय स्टील के निर्माण में प्रयोग किए जाने वाले कच्चे माल की कीमत 13,500 रुपये प्रति टन है, जबकि एक महीने पहले इसकी कीमत 15,000 रुपये प्रति टन थी।
यह इसलिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि जनवरी महीने में कीमतें 12,500-13,000 रुपये प्रति टन के न्यूनतम स्तर पर थीं और उसके बाद से इसमें फरवरी माह में 8-10 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। विश्लेषकों ने कहा था कि कीमतों में बढ़ोतरी से संकेत मिलता है कि देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ रही है और काम फिर से शुरू हो गया है।
मोनेट स्पात के मार्केटिंग और कार्पोरेट अफेयर्स के उपाध्यक्ष अमिताभ मुद्गल ने कहा कि स्पंज आयरन की मांग पर जून 2009 के अंत तक दबाव बना रहेगा, क्योंकि आम चुनाव के चलते निर्माण गतिविधियां तेजी से चल रही हैं और वे अंतिम दौर में हैं।
मंदी गोबिंदगढ़ के एक स्टील विश्लेषक अनिल सूरज ने कहा कि इस साल की शुरुआत में कजाकिस्तान और रूस से बडे पैमाने पर कच्चे माल का आयात किया गया क्योंकि वैश्विक बाजार की तुलना में भारतीय बाजारों में कीमत ज्यादा थी। लेकिन भारत में जब स्थिति सामान्य होने लगी तो आयात में कमी आ गई।
बिलेट्स की कीमतें पिछले एक महीने में 300-500 रुपये प्रति टन की मामूली दर से ऊपर गईं। सूरज ने कहा कि अगले तीन महीने में मांग बनी रहेगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में बिलेट्स की कीमत 397 डॉलर प्रति टन दर्ज की गई। मुद्गल ने कहा कि आश्चर्यजनक यह है कि लोहे की कीमतों में इस तरह का बदलाव नहीं देखा गया।
बहरहाल स्पंज आयरन का उत्पादन इस वित्तीय वर्ष में 5 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। खासकर लौह अयस्क के मामले में धनी राज्यों उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में बेहतर उत्पादन होगा। (BS HIndi)
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