27 मार्च 2009
सरकारी बंदिशों से थोक बाजार में चीनी हुई सस्ती
सरकारी बंदिशों से थोक बाजार में पिछले एक महीने में चीनी की कीमतों में 190 से 225 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। इस दौरान दिल्ली थोक बाजार में चीनी के दाम 2425-2450 रुपये से घटकर 2200-2225 रुपये प्रति क्विंटल रह गये जबकि एक्स फैक्ट्री इसकी कीमतें 2250-2300 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर 2030 से 2110 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। मार्च क्लोजिंग के कारण व्यापारियों की सक्रियता कम होने से अभी चीनी की कीमतों में नरमी का रुख कायम रह सकता है।केंद्र सरकार द्वारा चीनी की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए डयूटी फ्री रॉ शुगर को आयात कर घरेलू बाजार में बेचने की छूट देने के बाद स्टॉक लिमिट लगा दी गई। लोकसभा चुनाव के कारण केंद्र सरकार चीनी की कीमतों पर हर हाल में अंकुश लगाना चाहती है इसीलिए चीनी पर से 60 फीसदी आयात शुल्क को समाप्त करने की तैयारी की जा चुकी है। दिल्ली के चीनी व्यापारी सुधीर भालोठिया ने बिजनेस भास्कर को बताया कि सरकार द्वारा स्टॉक लिमिट लगा देने से स्टॉकिस्टों की खरीद कम हो गई है जिससे थोक बाजार में इसके दामों में गिरावट आई है। वैसे भी मार्च क्लोजिंग के कारण इस समय व्यापारियों की खरीद कमजोर होने से गिरावट को ही बल मिल रहा है। हालांकि फूटकर बाजार में अभी भी चीनी के दाम 24 से 26 रुपये प्रति किलो ही चल रहे हैं। इंडिया शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अध्यक्ष समीर एस सोमैया के मुताबिक चालू वर्ष 2008-09 (अक्टूबर से सिंतबर) में 155 लाख टन उत्पादन और 80 लाख टन बकाया को मिलाकर कुल उपलब्धता 235 लाख टन की बैठेगी जबकि हमारी सालाना खपत 225 लाख टन की होती है। अत: उत्पादन और बकाया स्टॉक मिलाकर वैसे तो देश में चीनी की कमी नहीं है लेकिन अगर केंद्र सरकार चाहती है कि नये सीजन में बकाया स्टॉक ज्यादा हो तो फिर रॉ शुगर का आयात ज्यादा मात्रा में किया जा सकता है। लेकिन हाल ही में रॉ शुगर आयात का कोई नया सौदा नहीं हुआ है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतें करीब 400 डॉलर प्रति टन हैं तथा रॉ शुगर की कीमतें भी बढ़कर 340 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई हैं। ऐसे में आयातित चीनी भारतीय बाजारों में पहुंच लगभग 2500 रुपये प्रति क्विंटल बैठेगी जोकि घरेलू चीनी के मुकाबले महंगी होगी। इसलिए मौजूदा भावों में आयात होने की संभावना तो नहीं है लेकिन सरकार द्वारा लगातार कीमतों पर नियंत्रण हेतु किये जा रहे उपायों से स्टॉकिस्टों में घबराहट जरुर है। ऐसे में घरेलू बाजारों में चीनी की कीमतें कुछ समय के लिए स्थिर रह सकती है। (Business Bhaskar...R S Rana)
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