25 मार्च 2009
सोया तेल के आयात पर उद्योग बेचैन, सोयामील निर्यात में लाभ
सोयाबीन इन दिनों आयातकों व निर्यातकों दोनों के लिए केंद्र बिंदु बन गया है। जहां सोया तेल आयात पर शुल्क के बारे में स्थिति स्पष्ट न होने से खाद्य तेल उद्योग भ्रम में है। लेकिन सोयाबीन के उत्पाद सोयामील के निर्यात में भारत की स्थिति बेहतर है। भारतीय सोयामील विश्व बाजार में महंगा बिकने से निर्यातकों को इसका लाभ मिल रहा है।उद्योग जगत ने केंद्र सरकार से सोयाबीन तेल पर आयात शुल्क मामले में स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। हाल ही में वाणिज्य सचिव जी. के. पिल्लई ने स्वीकार किया था कि सोयाबीन तेल पर आयात शुल्क लग चुका है जबकि अभी तक वित्त मंत्रालय ने इससे संबंध में नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। जिससे खाद्य तेल बाजार में आयात शुल्क को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। जिसका फायदा बाजार में सट्टेबाज उठा रहे हैं। सेंट्रल आर्गेनाइजेशन ऑफ ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (कोएट) ने इस संबंध में वित्त सचिव से मांग की है कि जल्द ही इस बारे में स्थिति स्पष्ट करें कि आयात शुल्क लागू है या नहीं। चालू सीजन के दौरान सोयामील निर्यात की मात्रा में इजाफा भले न हो लेकिन निर्यातकों को बेहतर मुनाफा हो रहा है। पिछले साल की तुलना में इस साल वैश्विक बाजारों में सोयामील के भाव में करीब दस फीसदी का इजाफा हुआ है। औद्योगिक सूत्रों के मुताबिक दक्षिण अमेरिका, ब्राजील और अर्जेटीना से नई फसल की आवक से पहले निर्यातकों को बेहतर भाव मिल रहे हैं। कोएट के अध्यक्ष दाविश जैन के मुताबिक मौजूदा समय में वैश्विक बाजारों में भारतीय सोयामील करीब 420-440 डॉलर प्रति टन के भाव पर बोला जा रहा है जो पिछले साल के मुकाबले करीब दस फीसदी ज्यादा है। हालांकि इस साल सोयामील के निर्यात में कमी की संभावना है। लेकिन इसके बावजूद निर्यातकों को अच्छा दाम मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इस दौरान सोयामील का निर्यात करीब 175,000 टन रहने का अनुमान है। अप्रैल से वैश्विक बाजारों में दूसर उत्पादक देशों की आवक बढ़ने की वजह से भारतीय निर्यात पर दबाव बढ़ सकता है। इस साल मार्च के अंत तक भारत से करीब 40 लाख टन सोयामील का निर्यात होने की संभावना है। पिछले साल इस अवधि के दौरान करीब 39 लाख टन सोयामील का निर्यात हुआ था। इस दौरान रैपसीड मील के निर्यात में भी इजाफा होने की संभावना जताई जा रही है। जैन के मुताबिक रैपसीड के उत्पादन में इजाफा होने की वजह से मील के निर्यात बढ़कर करीब दस लाख टन होने की संभावना है। पिछले साल अप्रैल से इस साल फरवरी के दौरान करीब 757,860 टन रैपसीड मील का निर्यात हुआ। (Business Bhaskar)
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