कोच्चि 03 23, 2009
पिछले कुछ महीनों से ऑटोमोबाइल की बिक्री में इजाफा होने का असर टायर बाजार पर भी पड़ा है। टायर की मांग बढ़ने से टायर निर्माताओं को प्राकृतिक रबर के बाजार का रुख करना पड़ रहा है।
कुछ दिनों से प्राकृतिक रबर की कीमतों में स्थिरता थी और टायर निर्माताओं द्वारा खरीदारी भी कम की जाती थी। लेकिन कीमतों में अचानक से तेजी आने से स्टॉकिस्टों और टायर निर्माताओं को इस बाजार में सक्रिय होने के लिए मजबूर होना पड़ा। मांग और कीमतों में अचानक बढ़ोतरी होने से प्राकृतिक रबर की खेती करने वाले किसानों के चेहरे पर रौनक देखते ही बन रही है।
रबर की एक किस्म आरएसएस-4 की कीमत 78.50 प्रति किलोग्राम है जो एक हफ्ते पहले की कीमत के मुकाबले 4 रुपये प्रति किलो ज्यादा है। वैश्विक प्राकृतिक रबर बाजार खासकर टोक्यो में बढ़ती कीमतों से स्थानीय बाजार की कीमतों में भी बढ़ोतरी हो रही है। बाजार की बदली हुई परिस्थितियों में टायर निर्माण सेक्टर बाजार में बहुत सक्रि य है और यह 78.50 रुपये कीमत पर सहमत होने की कवायद में भी दिख रहा है।
प्राकृतिक रबर के बड़े डीलरों के मुताबिक ज्यादातर प्रतिभागियों को यह उम्मीद थी कि बाजार में कारोबार मंदा जरूर रहेगा और यह 72-73 रुपये के दायरे में होता रहेगा। लेकिन अचानक कीमतों में बढ़ोतरी होने से उनके भंडारण की स्थिति भी असंतुलित हो गई है। ज्यादातर स्टॉकिस्ट अब रबर की खरीद के लिए बाध्य हैं ताकि आपूर्ति को बरकरार रखा जाए।
पिछले कुछ हफ्ते से टायर इंडस्ट्री का प्रदर्शन भी बेहतर है इसकी वजह यह है कि यात्री वाहन सेगमेंट में बिक्री में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। खासतौर पर कार की बिक्री में बहुत बढ़ोतरी हुई है। ऑटोमोटिव टायर मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन (एटीएमए) के सूत्रों के मुताबिक भारी वाहनों के सेगमेंट में बस के टायरों की बिक्री में सुधार आया है। लेकिन ट्रक टायर की बिक्री में अब भी कोई सुधार नहीं है।
ओई सेगमेंट में टायर की बिक्री में इजाफा हुआ है जिस पर इस साल के जनवरी महीने तक इसमें बहुत बुरा असर दिखा था। ओई सेगमेंट की बिक्री में सकारात्मक बदलाव की वजह से निर्माताओं को अपने भंडारण में इजाफा करने के लिए ज्यादा रबर खरीद की जरूरत पड़ने लगी।
इस बीच जब कीमतें 70 रुपये प्रति किलोग्राम के नीचे आ गई थीं तब किसानों ने अपने उत्पाद को जनवरी और फरवरी के महीने में बाजार में देने से हिचकने लगे थे। जनवरी, फरवरी और मार्च महीने में उत्पादन कम होने की वजह से भी किसानों पर मार पड़ी। इसी वजह से टर्मिनल बाजार में प्राकृतिक रबर की आपूर्ति बड़ी मशक्कत से होने लगी। इस साल जनवरी में उत्पादन में 9 फीसदी की गिरावट आई और यह 103,515 टन से कम होकर 94,000 टन हो गया।
फरवरी महीने में उत्पादन पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 78,095 टन से कम होकर 54,520 टन हो गया। वर्ष 2008 दिसंबर में उत्पादन 15,530 टन कम होकर 96,200 टन हो गया। मार्च में कुल उत्पादन लगभग 50,000 टन होने की उम्मीद है।
इसी वजह से दिसंबर 2008 और मार्च 2009 में उत्पादन में 5-6 फीसदी की कमी आई। उत्पादन में कमी आने के बावजूद आपूर्ति में कोई कमी नजर नहीं आई क्योंकि मांग भी बहुत कम थी। इस साल 9 फरवरी तक प्राकृतिक रबर का भंडार 224,600 टन था जबकि फरवरी 2008 में यह198,000 टन था।
डीलरों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि किसान खासतौर पर धनी किसान अपने उत्पाद को सस्ती कीमत पर बेचने के लिए तैयार नहीं थे। इसी वजह से बाजार में अचानक आई मांग से कीमतों में तुरंत बढ़ोतरी हो गई। कोट्टयम के बड़े डीलर को उम्मीद है कि कुछ दिनों के अंदर ही प्राकृतिक रबर की कीमत 80 रुपये प्रति किलोग्राम तक भी पहुंच सकती है।
वैसे कीमतों में तेजी का यह दौर बहुत लंबे समय तक नहीं चल सकता है क्योंकि ज्यादातर खेतिहर इलाकों में टैपिंग की प्रक्रिया जारी है। केरल के ज्यादातर हिस्सों में पिछले कुछ हफ्ते से बारिश हो रही है और यह रबर की टैपिंग के लिए यह बेहतर समय है। ऐसे में रबर अगले 10-12 दिनों में आ जाएगा।
मई महीने से उत्पादन का दूसरा सीजन शुरू होगा उसके बाद अक्टूबर में मुख्य उत्पादन सीजन होगा। इसी वजह से डीलरों की मानें तो मौजूदा आपूर्ति में कमी उतनी ज्यादा गंभीर समस्या नहीं है। उनके मुताबिक कीमतों में यह तेजी 15-20 दिनों तक जारी रहेगी।
बदल रही है फिजां
यात्री वाहन सेगमेंट में बिक्री में बढ़ोतरी हुई, टायर की मांग बढ़ीमांग बढ़ने से टायर निर्माताओं को प्राकृतिक रबर के बाजार का रुख करना पड़ाएक हफ्ते पहले की तुलना में रबर की कीमतों में 4 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी दर्ज की गई (BS Hindi)
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