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25 मार्च 2009

अच्छी बुआई के बाद भी पंजाब में घटी गेहूं की उपज

पंजाब में इस साल गेहूं का बुआई क्षेत्र भले ही बढ़ा है पर खराब मौसम और तेला रोग के चलते गेहूं की उपज के पिछले साल की तुलना में 2 लाख टन गिरने की आशंका है। वहीं हरियाणा में गेहूं का उत्पादन इस बार एक लाख टन बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। हरियाणा को उम्मीद है कि वह इस बार 103 लाख टन के गेहूं के उत्पादन लक्ष्य को पार कर लेगा। पंजाब में इस साल 34.9म् लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई की गई है।पिछले साल यहां गेहूं का बुआई क्षेत्र 34.88 लाख हेक्टेयर था। इस साल पिछले साल की तुलना में गेहूं की उपज दो लाख टन घटने की आशंका जताते हुए पंजाब के कृ षि विभाग के निदेशक बीएस सिद्धू ने कहा कि इस बार जनवरी महीने मंे ही तापमान 28 डिग्री पहुंचने से गेहूं की फसल पर आंशिक असर पड़ा है, वहीं प्रदेश के कई इलाकों में गेहूं के तेला रोग ग्रस्त होने से इस बार उपज 155 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल पंजाब में 157.फ्क् लाख टन गेहूं की उपज हुई थी। पंजाब कृषि विव्श्रविद्यालय के विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल जनवरी और फरवरी में तापमान सामान्य से 2 से 8 डिग्री अधिक रहने से गेहूं की उपज प्रभावित होगी।इनका कहना है कि इन महीनांे में तापमान यदि बढ़ता है तो उपज घट जाती है। उनका कहना है कि पंजाब में पिछले तीन चार सालों से प्रति एकड़ गेहूं की उपज में ठहराव आ गया है और यह औसतन 42 से 43 `िं टल प्रति एकड़ है। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व 2006 में भी तापमान बढ़ने के चलते प्रति एकड़ एक `िं टल उपज घट गई थी। उपज घटने का दूसरा सबसे बड़ा कारण गेहूं पर लगा तेला रोग है जिसकी चपेट में गेहूं की पीबीडब्ल्यू 343 और पीबीडब्ल्यू 502 किस्में आती हैं और गेहूं की कुल बुआई मंे इन किस्मों की हिस्सेदारी 80 फीसदी रहती है। (Business Bbhaskar)

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