नई दिल्ली 03 18, 2009
घरेलू बाजार में दालों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार ने आज दाल आयात पर सीमा शुल्क के छूट की अवधि बढ़ा दी।
साथ ही करीब हर किस्म की दाल के निर्यात पर प्रतिबंध को एक और साल के लिए बढ़ा दिया गया है। इस वित्तीय वर्ष में दाल की पैदावार में कमी का अनुमान लगाया गया है, जिसे देखते हुए सरकार ने यह फैसला किया।
काबुली चने को छोड़कर दाल की सभी किस्मों के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को एक साल के लिए बढ़ा दिया है। कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया गया। बैठक के बाद गृह मंत्री पी चिदंबरम ने यहां संवाददाताओं को बताया कि आयातित दालों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिए छह महीने और (30 सितंबर 09 तक) वितरित करने का भी फैसला किया गया है।
चिदंबरम ने बताया कि दालों के आयात पर शून्य शुल्क की रियायत को 31 मार्च 2009 से आगे एक साल और बढ़ाने का फैसला आज किया गया। इस तरह से शुल्क मुक्त दाल का आयात 31 मार्च 2010 तक किया जा सकेगा।
चिदंबरम ने कहा, 'काबुली चने को छोड़कर अन्य दालों के निर्यात पर प्रतिबंध एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है। अब यह एक अप्रैल 2009 से 31 मार्च 2010 तक लागू रहेगा।' कीमतों में बढ़ोतरी को देखते हुए सरकार ने दालों के निर्यात पर प्रतिबंध और करमुक्त आयात की अनुमति जून 2006 में दी गई थी।
चिदंबरम ने यह भी कहा, 'सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को 15 लाख टन दालों के आयात की वर्तमान व्यवस्था को आगे के लिए बढ़ा दिया गया है। इस पर 15 प्रतिशत के नुकसान की भरपाई और सेवा कर को एक साल के लिए और बढ़ाया गया है।' इस तरह से अब राज्य द्वारा संचालित कारोबारी फर्में 15 लाख टन दाल का आयात कर सकेंगी, जिसमें पीली मटर और दून मटर शामिल है।
साथ ही आम लोगों को दाल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से आपूर्ति की व्यवस्था को 6 महीने के लिए और बढ़ा दिया गया है, जो आगामी 30 सितंबर तक लागू रहेगा। इस साल दाल का उत्पादन घटकर 142.5 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि इसके पहले 147.6 लाख टन दाल का उत्पादन हुआ था।
विश्लेषकों का कहना है कि दाल की कुल अनुमानित मांग 171.8 लाख टन है, जिसे देखते हुए सरकार ने यह व्यवस्था की है। इस वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में कृषि उत्पादन में 2.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। फरवरी के अंतिम सप्ताह में महंगाई दर गिरकर 2.43 प्रतिशत पर पहुंच गई है, इसके बावजूद खाद्यान्न की कीमतों में कोई कमी नहीं आई है।
खाद्य तेलों के निर्यात पर प्रतिबंध बढ़ा
सरकार ने खाद्य तेलों के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को आज एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया। यह प्रतिबंध अब मध्य मार्च 2010 तक लागू रहेगा। इस कदम का मकसद घरेलू आपूर्ति बढ़ाना है। बीते साल मार्च में लगाया गया एक वर्ष पुराना प्रतिबंध आज समाप्त हो रहा था। विदेश व्यापार महानिदेशालय ने एक अधिसूचना में कहा कियह प्रतिबंध 16 मार्च 2010 तक लागू रहेगा।
बंगाल की खाड़ी मत्स्य योजनाएं जारी रहेंगी
केंद्र सरकार ने कृषि मंत्रालय के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसमें बंगाल की खाड़ी में मत्स्य विकास परियोजनाओं में हिस्सेदारी का प्रस्ताव रखा गया था। इस प्रस्ताव के तहत भारत वार्षिक रूप से 60,000 अमेरिकी डॉलर का योगदान जारी रखेगा।
बंगाल की खाड़ी योजना इंटर गवर्नमेंटल आर्गेनाइजेशंस के तहत मानव संसाधन विकास के लिए तकनीकी सहायता मुहैया कराई जाती है। इस संगठन में भारत के अलावा बांग्लादेश, मालदीव, श्रीलंका सहित अन्य कई संगठन शामिल हैं। यह संगठन भारत में अप्रैल 2003 से काम कर रहा है, जिसने मत्स्य क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई है। इससे मछली का उत्पादन करने वाले छोटे मछुआरों को बहुत ज्यादा फायदा हुआ है।
कैबिनेट के फैसले
शुल्क मुक्त दाल का आयात 31 मार्च 2010 तक किया जा सकेगा 30 सितंबर 2009 तक दाल मिलेगी राशन कार्ड से काबुली चने को छोड़ अन्य दालों के निर्यात पर प्रतिबंधपैदावार में कमी के अनुमान से केंद्र ने लिए ये फैसलेबंगाल की खाड़ी मत्स्य योजना रहेगी जारी (BS Hindi)
19 मार्च 2009
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