मुंबई March 20, 2009
भारत का लौह अयस्क निर्यात पिछले साल के 1042.7 लाख टन के जादुई आंकड़े को नहीं छू पाएगा। इसकी प्रमुख वजह यह है कि चीन की ओर से मांग में भारी गिरावट आई है।
स्टील का सामान बनाने के लिए चीन, भारत से सबसे ज्यादा लौह अयस्क खरीदता है। चीन से मांग में गिरावट पिछले माह शुरू हुई थी, जो अब भी जारी है। चीन से आने वाली हाजिर मांग में बहुत ज्यादा कमी आई है और अब यह नहीं के बराबर है।
कारोबारी शायद इस इंतजार में हैं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार आए। सुधार आने पर भी आगामी वित्त वर्ष के लिए नए सौदे किए जा सकते हैं। भारत के कुल लौह अयस्क के निर्यात का 85 प्रतिशत चीन भेजा जाता है।
जनवरी माह में चीन के विनिर्मित स्टील का उत्पाद तेजी से गिरा और यह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 54 प्रतिशत गिरकर 19.1 लाख टन पर पहुंच गया। एक विश्लेषक के मुताबिक, कच्चे स्टील के वैश्विक उत्पादन में 9 प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना है। यह इस साल 1.210 अरब टन रह जाएगा। यह 1998 के बाद पहली गिरावट होगी।
फेडरेशन आफ इंडियन मिनरल्स इंडस्ट्रीज (एफआईएमआई) के सेक्रेटरी जनरल आरके शर्मा ने कहा, 'दिसंबर के हाजिर मांग को देखें तो, जनवरी और फरवरी में यह आंकड़ा हासिल हो जाएगा। लेकिन अब हमें संदेह है।'
लीमन ब्रदर्स के धराशायी होने के बाद अक्टूबर और नवंबर में गिरावट रुख रहा, क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की ओर चली गई। लेकिन इस साल की शुरुआत में मांग फिर बढ़ गई। उद्योग जगत के सूत्रों के मुताबिक पिछले दो महीने में निर्यात में 15-20 प्रतिशत की गिरावट आई है और आने वाले 2 से 3 महीनों तक मंदी जारी रहेगी।
बेल्लारी-होसपेट लौह अयस्क क्षेत्र से लदान में कमी आ रही है। इस महीने के लिए कोई बड़े ठेके भी नहीं मिले हैं। केवल पहले के ऑर्डर को ही पूरा किया जा रहा है। गोवा से भी निर्यात में गिरावट देखी गई है और यह मार्च महीने में करीब 30 लाख टन रहा, जबकि पिछले साल की समान अवधि में निर्यात 60 लाख टन रहा था।
गोवा मिनरल ओर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के सेक्रेटरी ग्लेन कलावमपारा ने कहा कि चीन से उठान बहुत कम रही है, तो आगामी कुछ और महीनों तक जारी रहने की उम्मीद है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में कुल लौह अयस्क निर्यात 395 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के करीब बराबर रहेगा।
पिछले तीन महीनों का अगर औसत देखें तो गोआ से लदान करीब 170 लाख टन रही है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में करीब 20 प्रतिशत ज्यादा है। बहरहाल लौह अयस्क की कीमतों में फरवरी के अंतिम सप्ताह से लेकर अब तक 20 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह 55-60 डॉलर प्रति टन से घटकर 48-50 डॉलर प्रति टन रह गई हैं।
शर्मा ने कहा कि 48 डॉलर प्रति टन के भाव पर भी कोई खरीदार नहीं मिल रहे हैं। इस समय स्टील की वैश्विक मांग में 20 प्रतिशत की कमी आई है, लेकिन आगामी महीनों में सुधार की उम्मीद लिए उद्योग जगत देख रहा है कि साल के अंत में कुछ सुधार आएगा।
चीन, विश्व का सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश है, जिसका वार्षिक उत्पादन 50 करोड़ टन है। यहां पर स्टील के उत्पादन में 2.6 प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी हुई है। वहीं स्टील के वैश्विक उत्पादन में 1.2 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं चीन के स्टील निर्यात को देखें तो दक्षिण कोरिया को भेजे जाने वाले स्टील में 63.5 प्रतिशत और यूरोपीय संघ को किए जाने वाले निर्यात में दिसंबर 2008 में 75 प्रतिशत की कमी देखी गई है।
घट गई मांग
बेल्लारी होसपेट अयस्क क्षेत्र से निर्यात घटा गोवा बंदरगाह से लदान में आई कमीतीन सप्ताह में कीमतें 20 प्रतिशत गिरींनिर्यात कम होने से चीन में मांग कम हुईअभी कुछ और महीने जारी रहेगी मंदी (BS HIndi)
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