नई दिल्ली March 25, 2009
चीन के विरोध से अप्रभावित भारत ने घरेलू उद्योग को सुरक्षा प्रदान करने के लिए विशेष एल्युमीनियम उत्पादों पर 35 फीसदी तक का एंटी डंपिंग शुल्क लगाया है।
साथ ही केमिकल उत्पादों पर भी एंटी डंपिंग शुल्क लगाया गया है। चीन और अन्य देशों से सस्ते आयात से घरेलू उद्योग को बचाने के लिए यह कर लगाया गया है।
केंद्रीय उत्पादन एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने अपनी अधिसूचना में कहा कि महानिदेशक (बचाव) के तथ्यों पर विचार करने के बाद केंद्र सरकार ने चीन से आयातित एल्युमीनियम की चादरों पर 21 फीसदी और एल्युमीनियम फॉयल पर 35 फीसदी का डंपिग रोधी शुल्क लगाया है। इसके साथ ही डाईमेथोएट टेक्निकल पर 28 प्रतिशत शुल्क लगाया गया है।
एल्युमीनियम चादरों का उपयोग मुख्य तौर पर वाहन और निर्माण क्षेत्र में किया जाता है जबकि एल्युमीनियम फायल का उपयोग पैकेजिंग उद्योग में भारी मात्रा में किया जाता है। हिंडाल्को और वेदांत इस किस्म के उत्पाद बनाने वाली प्रमुख कंपनियां हैं।
यह अस्थाई कदम है जो घरेलू उद्योग को सस्ते आयात से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए कुछ समय के लिए लगाया जाता है। यह 8 अक्टूबर 2009 तक लागू रहेगा। संरक्षण शुल्क, आयात शुल्क, एजूकेशनल सेस आदि के रूप में लिया जाएगा। इस तरह के शुल्क लगाए जाने से आयात महंगा हो जाता है। घरेलू उद्योग ने आयात बढ़ने के बारे में महानिदेशालय से शिकायत की थी।
एल्युमीनियम उत्पादों पर कर लगाने के लिए एल्युमीनियम एसोसिएशन आफ इंडिया ने आवेदन किया था, जिसके सदस्य हिंडाल्को और नाल्को हैं। यह संगठन एल्युमीनियम उत्पादों में चादरों के निर्माण में 97 प्रतिशत और फॉयल्स के उत्पादन में 98 प्रतिशत की हिस्सेदारी करता है।
डाईमेथोएट टेक्निकल के बारे में दिल्ली की शिवालिक रसायन लिमिटेड ने शिकायत की थी। इन सभी कंपनियों ने कहा था कि 2008-09 में आयात बहुत ज्यादा बढ़ने की वजह से बाजार में अपनी हिस्सेदारी गंवा दी है।
डीजीएस ने इसकी पूरी पड़ताल करने के बाद एंटी डंपिंग शुल्क लगाने के बारे में संस्तुति दी। सरकारी अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि सरकार उन उत्पादों पर खास नजर रख रही है, जिनका आयात खासकर चीन से बढ़ा है। (BS HIndi)
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