मुंबई 03 23, 2009
भारत की सबसे बड़ी एल्युमीनियम उत्पादक और निर्यातक नैशनल एल्युमीनियम कंपनी अपने उत्पादन में कटौती करने की योजना बना रही है।
इसकी वजह यह है कि एल्युमीनियम की मांग में कमी आ रही है और इसका भंडार जमा होता जा रहा है। वर्तमान में सार्वजनिक क्षेत्र की इस बड़ी कंपनी के पास 20,000 टन का बड़ा भंडार जमा हो गया है, जबकि सामान्य तौर पर कंपनी के पास 5,000 टन माल होता है।
कंपनी में कार्यरत एक आला अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा कि हम योजना बना रहे हैं कि अगर भंडार 30,000 टन पर पहुंच जाता है तो उत्पादन में कटौती करना शुरू कर देंगे। वहीं विश्लेषकों का कहना है कि मार्च के अंत तक कुल भंडार 25,000 टन पहुंच जाएगा।
जुलाई 2008 में लंदन मेटल एक्सचेंज में एल्युमीनियम की कीमतें 3,271 डॉलर प्रति टन के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। उसके बाद इसकी कीमतों में 67 प्रतिशत की गिरावट आई और फरवरी 2009 में इसकी कीमतें 1251 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गईं, क्योंकि मंदी के चलते नकदी का संकट खड़ा हो गया।
इस गिरावट की वजह से एल्युमीनियम का उत्पादन करने वाली कंपनियों, जिसमें वेदांत समूह की भारत एल्युमीनियम कंपनी (बाल्को) भी शामिल है, को अपना उत्पादन कम करना पड़ा क्योंकि हाजिर बाजार में कीमतें उत्पादन लागत से भी कम हो गईं।
प्राथमिक एल्युमीनियम का उत्पादन करने वाली सरकार की मालिकाना वाली कंपनियों ने बहरहाल उत्पादन में कोई कटौती नहीं की। लंबी अवधि के सौदों के माध्यम से कंपनी अपने उत्पादन का 60 प्रतिशत बिक्री करती रही और कीमतें 2000 डॉलर प्रति टन के हिसाब से मिलीं, जबकि शेष उत्पादन को गोदामों में रखना पड़ गया।
वैश्विक उत्पादन को देखें तो इस समय एल्युमीनियम के भंडारण का संकट खड़ा हो गया है। लंदन मेटल एक्सचेंज में गोदामों में अब तक का सर्वाधिक माल जमा हो गया है। इस समय कुल 34.5 लाख टन का भंडारण है, जबकि 2008 में औसत भंडार 12 लाख टन का था।
मुंबई की ब्रोकरेज फर्म केआर चौक्सी शेयर्स से जुड़े विश्लेषक विपुल शाह का कहना है कि हमें उम्मीद है कि एल्युमीनियम की कीमतें कम बनी रहेंगी। उत्पादन लागत के करीब कीमतें अगले 6 से 9 महीनों तक रहेंगी। उन्होंने कहा कि एल्युमीनियम निकट भविष्य में फीका ही नजर आ रहा है।
फरवरी में हुए एक कांफ्रेंस में नाल्को ने कहा था कि उसकी उत्पादन लागत करीब 1,500 डॉलर प्रति टन है, वहीं कंपनी का वार्षिक उत्पादन करीब 3,50,000 टन है। शुक्रवार को एल्युमीनियम की कीमतें लंदन मेटल एक्सचेंज में 1,423 डॉलर प्रति टन रहीं।
शाह ने कहा कि उत्पादन में कटौती से कंपनी का मुनाफा कम होगा। एक विश्लेषक के मुताबिक संयंत्र के रखरखाव के खर्च में कमी करके उत्पादन लागत में 10-15 प्रतिशत की कमी की जा सकती है। 31 दिसंबर के अंत तक के 9 महीनों में कंपनी का राजस्व 4,374 करोड़ रुपया था।
पिछले साल की समान अवधि की तुलना में इसमें 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। यह मुनाफा 1189 करोड़ रुपये कर दिए जाने के बाद एक साल पहले की तुलना में 2 प्रतिशत कम हुआ है। (BS HIndi)
25 मार्च 2009
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