20 मार्च 2009
ऑटो उद्योग की मांग सुधरने से प्लेटिनम के दामों में बढ़त
नई दिल्ली. औद्योगिक मंदी के चलते खपत घटने से प्लेटिनम के मूल्य में आई गिरावट अब थमने लगी है और इसके भाव में अब सुधार दिखाई देने लगा है। ऑटो उद्योग की मांग में बढ़ोतरी के चलते इस साल की शुरूआत के बाद से प्लेटिनम के दामों में सुधार हो रहा है। जिसके चलते पिछले एक महीने में इसके दाम 11 फीसदी बढ़ गए है। विश्व भर में कुल प्लेटिनम की कुल खपत का एक तिहाई हिस्सा ऑटो उद्योग में होता है। देश में होने वाली प्लेटिनम की कुल खपत का करीब 55 फीसदी खपत ऑटो उद्योग में होती है। वाहनों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कैटेलिक कनवर्टर में प्लेटिनम का इस्तेमाल होता है। प्लेटिनम की 25 फीसदी खपत पेट्रोकेमिकल्स और फर्टिलाईजर उद्योग में होती है। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार इस साल फरवरी में देश में गाडियों का उत्पादन 6.10 फीसदी बढ़ा है। इसी तरह यूरोप और दक्षिण अमेरिकी बाजार में भी आटोमोबाइल उद्योग की स्थिति में सुधार का रुख दिख रहा है। इसका सीधा असर प्लेटिनम के दामों में देखने को मिल रहा है। कॉमेक्स में इसके दाम इस साल फरवरी की शुरूआत में 950 डॉलर प्रति औंस तक गिर गए थे जो इस समय 1050 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गए है। भारत में भी इसके दाम पिछले एक महीने में 1552 रुपये प्रति ग्राम से बढ़कर 1750 रुपये प्रति दस ग्राम तक पहुंच गए है। पिछले साल मई में विश्व बाजार में प्लेटिनम के दाम 2290 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर थे जो कम होकर 930 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर आ गए थे। जिसके चलते भारतीय बाजार भी प्लेटिनम के दामों में गिरावट का रुख बना हुआ था। देश में कुल 10 टन प्लेटिनम की खपत होती है। जिसमें से दो टन प्लेटिनम का आयात किया जाता है। बाकी आठ टन पुराना प्लेटिनम होता है जिसको रिसाइकल कर दोबारा प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा प्लेटिनम में निचले स्तरों पर निवेश में भी बढ़ोतरी हुई है। एंजेल कमोडिटी के प्रमुख नवीन माथुर ने बिजनेस भास्कर को बताया कि प्लेटिनम के दाम में भारी गिरावट के बाद निचले स्तरों पर इसमें निवेश बढ़ा है। विशेषकर ईटीएफ की ओर से निवेश में बढ़ोतरी हुई है। उसी का असर है कि प्लेटिनम के दामों में तेज़ी आई है। (Business Bhaskar)
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