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18 मार्च 2009

स्टॉकिस्टों की खरीद से एक माह में लालमिर्च 16त्न महंगी

स्टॉकिस्टों के साथ ही निर्यातकों की खरीद बढ़ने से पिछले एक महीने में लालमिर्च के भाव में करीब 16 फीसदी की तेजी आ चुकी है। पैदावार में पिछले साल के मुकाबले लगभग 15 से 20 फीसदी की कमी आने की आशंका के कारण स्टॉकिस्टों की सक्रियता से तेजी को बल मिल रहा है। हालांकि माना जा रहा है कि अगर आगामी दिनों में दैनिक आवक बढ़कर एक लाख बोरी से ऊपर रहती है तो फिर मौजूदा भाव में गिरावट आ सकती है। लालमिर्च के व्यापारी मांगीलाल मुंदड़ा ने बताया कि गुंटूर मंडी में लालमिर्च की दैनिक आवक बढ़कर 85 से 90 हजार बोरी (एक बोरी 45 किलो) की हो गई है। लेकिन निर्यातकों और स्टॉकिस्टों की खरीद बढ़ने से पिछले एक महीने में गुंटूर मंडी में लालमिर्च की कीमतों में 1000 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। तेजा क्वालिटी की लालमिर्च के भाव बढ़कर 6000 रुपये, ब्याड़गी क्वालिटी के भाव 5700 रुपये, 334 क्वालिटी के भाव बढ़कर 5200 रुपये तथा सनम क्वालिटी के भाव बढ़कर 5300 रुपये और फटकी क्वालिटी के भाव 2500 से 3500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। पिछले वर्ष से तुलना की जाए तो इसके भाव करीब 1800 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल तेज चल रहे हैं। पिछले वर्ष की समान अवधि में तेजा क्वालिटी के भाव 4200 रुपये, ब्याड़गी के भाव 3700 रुपये, 334 के भाव 3500 रुपये और सनम क्वालिटी के भाव 3500 रुपये तथा फटकी क्वालिटी के भाव 1000 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल थे। गुंटूर स्थित लालमिर्च व्यापारी विनय बूबना ने बताया कि चालू वर्ष में अभी तक मौसम तो फसल के अनुकूल रहा है लेकिन किसानों ने पिछले वर्ष कॉटन के ऊंचे भाव देखे थे इसलिए लालमिर्च के बजाय कॉटन की बुवाई को प्राथमिकता दी। जिससे लालमिर्च के बुवाई क्षेत्रफल में 15 से 20 फीसदी की कमी आई है। पिछले वर्ष आंध्र प्रदेश में लालमिर्च का कुल उत्पादन 150 लाख बोरी का हुआ था लेकिन रकबा घटने से उत्पादन घटकर 130 से 135 लाख बोरी ही होने की संभावना है। चालू फसल सीजन में लालमिर्च के स्टॉकिस्ट तो सक्रिय है ही, साथ ही कॉटन के व्यापारी भी लालमिर्च का स्टॉक कर रहे हैं। अभी तक गुंटूर मंडी में करीब 18 से 20 लाख बोरी का स्टॉक हो चुका है। पिछले साल गुंटूर में 45 लाख बोरी का स्टॉक हुआ था जबकि आंध्रप्रदेश में करीब 75 लाख बोरी का स्टॉक हुआ था। मुंबई स्थित लालमिर्च के निर्यातक अशोक दत्तानी ने बताया कि इस समय बांग्लादेश और श्रीलंका की मांग अच्छी बनी हुई है। मसाला बोर्ड के सूत्रों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से जनवरी तक देश से लालमिर्च का निर्यात 156,500 टन का हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात 160,930 टन का हुआ था। अशोक दत्तानी के मुताबिक जनवरी महीने में निर्यातकों की मांग कमजोर रही थी लेकिन फरवरी और मार्च महीने में खासकर बांग्लादेश की तेजा क्वालिटी में अच्छी मांग बनी हुई है। (Business Bhaskar.....R S Rana)

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