अहमदाबाद March 23, 2009
वैश्विक मंदी का असर भारत के ईसबगोल के निर्यात पर भी पड़ने की उम्मीद है। गुजरात के इसबगोल के कारोबारियों का मानना है कि चालू वित्त वर्ष की तुलना में अगले वित्त वर्ष में इसके निर्यात में गिरावट आएगी।
कारोबारियों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2007-08 में भारत ने 1,500 कंटेनर (एक कंटेनर में 20 टन होता है) इसबगोल का निर्यात किया था।
केयूर इंडस्ट्रीज के मालिक और सिध्दपुर स्थित इसबगोल प्रॉसेसर्स एसोसिएशन (आईपीए) के सदस्य मनुभाई पटेल का कहना है कि 'मार्च 2009 के अंत तक कुल निर्यात 1,300 से 1350 कंटेनर रहने की उम्मीद है। इसके साथ ही अगले वित्त वर्ष में निर्यात घटकर 1,200 कंटेनर रह जाने का अनुमान है। यह कीमतों के उतार चढ़ाव पर भी निर्भर करेगा।'
पटेल ने कहा कि इस साल वैश्विक मंदी के असर के चलते इसबगोल का निर्यात कम हुआ। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि पिछले 2 साल से इसबगोल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से जो उद्योग इसका प्रयोग कच्चे माल के रूप में करते थे, उन्होंने अपने प्रयोग में कटौती कर दी है।
सोन साइलम इंडस्ट्रीज के मालिक विष्णु पटेल ने कहा कि इस साल इसबगोल के निर्यात में पहले ही कमी आ गई है, विदेशी कंपनियों की खरीद में खासी कमी आई है। इस सम कंपनियां अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए ही इसबगोल की खरीद कर सकती हैं।
एक बड़े वैश्विक खरीदार का उदाहरण देते हुए पटेल ने कहा कि जो कंपनी 300 से 350 लॉट का प्रति साल इस्तेमाल करती है, वह करीब 30 से 35 लॉट प्रति माह इसबगोल की खरीद करती है, लेकिन अब उसकी खरीद घटकर 20 से 25 लॉट रह गई है।
बाजार से जुड़े लोगों का मानना है कि 2009-10 में इसबगोल का निर्यात घटकर 1,200 कंटेनर रह जाएगा। यह भी इसकी कीमतों पर निर्भर करेगा। सिध्दपुर स्थित इसबगोल के हाजिर बाजार में इस समय 20 किलो इसबगोल की कीमत 1,025 से 1,050 रुपये है, जो पिछले साल की तुलना में 100 रुपये प्रति 20 किलोग्राम ज्यादा है।
मांग में आई कमी
2007-08 में भारत ने 1,500 कंटेनर (एक कंटेनर में 20 टन) ईसबगोल का निर्यात किया था मार्च 2009 के अंत तक कुल निर्यात 1,300 से 1350 कंटेनर रहने की उम्मीदहाजिर बाजार में इस समय 20 किलो ईसबगोल की कीमत 1,025 से 1,050 रुपये (BS Hindi)
23 मार्च 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें