सस्ते आयात से संरक्षण के लिए प्राथमिक एल्युमीनियम के आयात पर 10 प्रतिशत शुल्क लगाने की मांग
मुंबई 03 26, 2009
भारत की प्रमुख एल्युमीनियम उत्पादक, नैशनल एल्युमीनियम कंपनी (नाल्को) ने सरकार से बातचीत के बाद प्राथमिक एल्युमीनियम के आयात पर 10 प्रतिशत संरक्षण शुल्क लगाए जाने की मांग की है।
भारत सरकार ने मूल्य वर्धित एल्युमीनियम के आयात पर 35 प्रतिशत आयात शुल्क लगा दिया है। सरकार के इस कदम से एवी बिड़ला समूह की कंपनी हिंडालको और अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांत समूह को फायदा होगा। बहरहाल भुवनेश्वर स्थित सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को प्राथमिक एल्युमीनियम के मामले में कोई संरक्षण नहीं दिया गया है।
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 13 मार्च को कहा था, 'हमने चीन से होने वाले एल्युमीनियम फॉयल के आयात पर 22 प्रतिशत और एल्युमीनियम चादरों के आयात पर 25 प्रतिशत संरक्षण शुल्क 200 दिनों के लिए लगाया है।'
एल्युमीनियम चादरों का प्रयोग ऑटो और निर्माण जैसे क्षेत्रों और एल्युमीनियम फॉयल का इस्तेमाल व्यापक पैमाने पर पैकेजिंग उद्योग में होता है। इन दो एल्युमीनियम उत्पादों के प्रमुख उत्पादक हिंडालको और वेदांत समूह हैं।
डॉयरेक्टरेट जनरल ऑफ सेफगार्ड्स, कस्टम्स ऐंड सेंट्रल एक्साइज सस्ते आयात के चलते होने वाली समस्याओं पर अध्ययन करता है। उसने जनवरी में भारत में आने वाले सस्ते एल्युमीनियम उत्पादों की आवक के बारे में जांच शुरू की थी। नाल्को के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सीआर प्रधान ने कहा, 'हम अभी भी सरकार से बातचीत कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि सरकार हमारे हितों की रक्षा के लिए कदम उठाएगी।'
नकदी के संकट के चलते एल्युमीनियम की कीमतें गिर गईं और आर्थिक मंदी ने मूल धातुओं की मांग पर बुरा प्रभाव डाला। लंदन मेटल एक्सचेंज में एल्युमीनियम की कीमतें जुलाई 2008 में 3,271 डॉलर प्रति टन के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद फरवरी 2009 में हाजिर भाव 67 प्रतिशत गिरकर 1,251 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गईं।
इसका परिणाम यह हुआ कि पूरी दुनिया में भंडारण बढ़ गया। एलएमई में भंडारण बढ़कर अब तक के सर्वाधिक स्तर 34.5 मिलियन टन पर पहुंच गया जबकि सामान्य भंडारण 12 लाख टन का होता है। नाल्को का भंडारण 20,000 टन पर पहुंच गया, जो सामान्य 5,000 टन भंडारण से 4 गुना ज्यादा है।
कंपनी का वार्षिक उत्पादन 3,50,000 टन है। चीन में उत्पादन लागत कम होती है, इसलिए कंपनी को चीन से सस्ते एल्युमीनियम उत्पाद के डंपिंग की समस्या से भी रूबरू होना पड़ रहा है। मुंबई की ब्रोकरेज फर्म केआर चौक्सी शेयर्स के विश्लेषक विपुल शाह का कहना है, 'चीन में इस साल घरेलू खपत बहुत कम हो गई है। जिसकी वजह से वह अपने भंडारण की डंपिंग भारत और अन्य देशों में कर रहा है।' चीन से भारत माल लाने में कम किराए की वजह से चीन के लिए भारत डंपिंग हेतु बेहतर रहता है। (BS Hindi)
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