23 मार्च 2009
अब सोने की कीमतों का बुलबुला फूटने की बारी?
मंदी की वजह से दुनिया भर में शेयर, कच्चे तेल, मेटल और रियल एस्टेट में जारी उफान का तूफान ठंडा पड़ चुका है। हालांकि ग्लोबल इकॉनमी की रिकवरी शुरू हो, इससे पहले एक और बुलबुला फूटने वाला है, वह है सोने की कीमतों में जारी तूफान का। सोने का फिलहाल भाव 950 डॉलर प्रति आउंस है, और यह पिछले साल मार्च में हुए ऑल टाइम हाइ से काफी करीब है। पिछले मार्च में सोना 1,002 डॉलर प्रति आउंस पर बंद हुआ था, जो 1999 से 2002 के बीच के रेट से तीन गुना ज्यादा है। सोने की कीमतों में गिरावट तय जान पड़ती है। हालांकि हमारे जेहन में यह बात बैठी हुई कि संपत्ति के रूप में सोने का कोई जवाब नहीं है। लोग मानते हैं कि मुश्किलों के दौर में यह सबसे सुरक्षित विकल्प होता है। लेकिन ऐसी चीजों के मामले में आप दिल की बात सुनकर नहीं चल सकते। और सोने के मामले में भी खतरे की घंटी बज रही है। भारत में सोने का अपार भंडार है। माना जाता है कि अमेरिकी ट्रेजरी में मौजूद 8,000 टन से भी ज्यादा सोना भारत में मौजूद है। हालांकि अमेरिकी में ज्यादार सोने का मालिकाना हक सरकार के पास है, जबकि भारत में सिर्फ 300 टन सोना सरकार के पास है। बाकी सोना प्राइवेट लोगों के हाथों में है, मसलन जेवर के रूप में लोगों के आलमीरा के कमरे में या बैंक लॉकरों में। भारतीय समाज में महिलाओं के जेवर को काफी सीरियसली लिया लिया जाता है और इसकी बिक्री आखिरी सूरत में ही की जाता है। हालांकि ऐसा लगता है कि सोने की बढ़ती कीमतों ने इसके प्रति लोगों की दिलचस्पी घटा दी है। फरवरी में भारत का गोल्ड इंपोर्ट तकरीबन जीरो रहा। एक साल पहले यह 28 टन था। यहां तक कि शादी-ब्याह के सीजन में भी सोने की मांग काफी कम रहने के आसार हैं। लोग घरों में अपनी मां और अन्य लोगों के जेवरों को रिसाइकल करवा कर दुल्हन के लिए गहने बनवा रहे हैं। हालांकि खबरें कि गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ)में लोगों की दिलचस्पी अभी तक बरकरार है। ईटीएफ ऐसा निवेश होता है, जिसका वैल्यू सोने की कीमतों से जुड़ा होता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब लोग अपनी बेटियों और शादियों के लिए सोना नहीं खरीद सकते, तो फिर कागजी सोना (ईटीएफ) क्यों खरीद रहे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है कि तेजड़ियां इस बाबत भारी खरीद कर रहे हैं, ताकि सोने के भाव ऊपर रहें। (ET Hindi)
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