भोपाल December 05, 2008
बारिश के अभाव में सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहे मालवा प्रदेश में रबी की बुआई जोरों पर है। हालांकि भीषण ठंड ने इस क्षेत्र के किसानों के सामने काफी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
मालमू हो कि पिछले साल भी भारी ठंड के चलते चने की लगभग पूरी फसल तबाह हो गई थी। बहरहाल किसानों ने अब तक राज्य के लगभग 80 फीसदी क्षेत्रों में रबी फसलों की बुआई कर ली है। अब तक मध्य प्रदेश के करीब 68.18 लाख हेक्टेयर में बुआई हो गई है, जबकि बुआई लक्ष्य करीब 85 लाख हेक्टेयर का रहा है।आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, कम बारिश के चलते इस बार मालवा के इलाके में रबी की मुख्य फसल गेहूं के रकबे में 50 फीसदी कमी का अनुमान है। हालांकि राज्य के कुल 37 लाख हेक्टेयर में गेहूं बुआई के तय लक्ष्य के मुकाबले अब तक करीब 25 लाख हेक्टेयर में बुआई का काम पूरा हो गया है। कृषि विभाग के सूत्रों ने बताया कि इस बार मालवा इलाके से गेहूं के रकबे में भारी कमी की खबर है। इस इलाके में तय लक्ष्य 3.72 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 2.22 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोई जा चुकी है। गौरतलब है कि मालवा मध्य प्रदेश का मुख्य गेहूं उत्पादक इलाका है। ग्वालियर में तय लक्ष्य 4.63 लाख हेक्टेयर की तुलना में 3 लाख हेक्टेयर में बुआई हो गई है। चंबल की बात करें तो 1.85 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य की तुलना में 1 लाख हेक्टेयर और बुंदेलखंड में 4.80 लाख हेक्टेयर की तुलना में 4.53 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई हो चुकी है। हालांकि राज्य सरकार ने ग्वालियर, चंबल और बुंदेलखंड इलाकों के बुआई लक्ष्य में संशोधन करते हुए इसमें बढ़ोतरी की है। ऐसा इसलिए कि इस बार इस इलाके में सामान्य या औसत से अधिक बरसात हुई है।राज्य सरकार का अनुमान है कि इस बार पिछले साल के 24 लाख हेक्टेयर की तुलना में चने का रकबा 28 लाख हेक्टेयर रहेगा, जबकि अब तक करीब 25.32 लाख हेक्टेयर में चने की बुआई हो चुकी है। रबी की अन्य फसलों जैसे सरसों, उड़द, अलसी, मटर और मसूर की बुआई भी अब तक तय लक्ष्य से पीछे है। सरसों उत्पादकों ने अब तक 8.35 लाख हेक्टेयर के तय लक्ष्य के मुकाबले 7.58 लाख हेक्टेयर में बुआई कर ली है। गन्ने की बात करें तो इसकी बुआई का लक्ष्य 75 हजार हेक्टेयर रखा गया है, जिसमें से करीब 21 हजार हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है। एक कृषि विशेषज्ञ ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि अब तक इस इलाके में रबी की बुआई औसत रही है। रबी की बुआई प्रभावित होने की एक और वजह जलाशयों का सूखा होना है। राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बिजनेस स्टैंडर्ड से हुई बातचीत में कुछ दिनों पहले माना था कि तवा, बरना, बर्गी और संजय गांधी जैसे जलाशय सूखे पड़े हैं। ऐसे में राज्य सरकार की आशंका है कि पिछले साल के 7 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस बार रबी का रकबा घटकर महज 3 से 4 लाख हेक्टेयर रह जाएगा।किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग के एक अधिकारी ने बताया था कि मालवा इलाके में रबी के रकबे में इस बार करीब 25 फीसदी की कमी हो सकती है। वैसे सरकार को उम्मीद है कि इस बार चंबल और बुंदेलखंड इलाकों में रबी का उत्पादन पिछले साल की तुलना में अधिक रहेगा। हालांकि अब तक प्राप्त रिपोर्टों से पता चलता है कि इन इलाकों में बुआई का काम अब तक तय लक्ष्य से काफी पीछे है। (BS Hindi)
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