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21 दिसंबर 2008

महीनों की मंदी के बाद नेचुरल रबर के भाव पांच फीसदी सुधरे

अगस्त से भारी गिरावट के कारण काफी नीचे आ चुके भाव पर उत्पादक किसानों की बिकवाली कमजोर पड़ने से चालू सप्ताह में प्राकृतिक रबर की कीमतों में करीब पांच फीसदी का सुधार देखा गया है। अगस्त के बाद पहली बार भाव में तेजी दर्ज की गई है। क्रूड तेल की कीमतों में आई गिरावट के कारण पिछले पांच महीने से रबर की कीमतों में भारी मंदी का सबसे ज्यादा असर छोटे किसानों पर पड़ा है। अगस्त से दिसंबर के दौरान इसकी कीमतों में करीब 77 रुपये प्रति किलो की भारी गिरावट आ चुकी है। रबर बोर्ड के अध्यक्ष साजन पीटर के अनुसार कि क्रूड तेल के भावों में अगस्त महीने के बाद से एकतरफा गिरावट आई है जिसका असर प्राकृतिक रबर के भाव पर पड़ रहा है। क्रूड तेल के भाव अगस्त में बढ़कर 145 डॉलर प्रति बैरल हो गए थे तथा उस दौरान प्राकृतिक रबर आरएसएस-4 और आरएसएस-5 किस्म की कीमतें भी बढ़कर घरेलू बाजारों में क्रमश: 135 और 137 रुपये किलो के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। लेकिन उसके बाद जैसे-जैसे क्रूड तेल के भावों में गिरावट आई उसी हिसाब से रबर की कीमतें भी घटती चली गई।इस समय क्रूड तेल की कीमत 35 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे चल रही है तथा जब तक क्रूड तेल की कीमतों में सुधार नहीं आएगा तब तक रबर की कीमतों में भी सुधार की संभावना नहीं है। टायर बनाने वाली कंपनियों की मांग में कमी आने से भी रबर के भाव ठंडे हैं। आर्थिक मंदी में कंपनियों का उत्पादन घटा है। क्रूड ऑयल सस्ता होने से सिंथेटिक रबर के भाव घट रहे हैं जो प्राकृतिक रबर वैकल्पिक उत्पाद है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के साथ ही केंद्र सरकार को भी रबर किसानों को उचित कीमत दिलाने का प्रयास करना चाहिए। राज्य सरकार को रबर का बफर स्टॉक बनाकर किसानों से तयशुदा दाम पर खरीद करनी चाहिए। रबर के आयात पर शुल्क भी लगाया जाना चाहिए। पिछले सप्ताह शुक्रवार को घरेलू बाजारों में आरएसएस-4 और आरएसएस-5 किस्म की रबर की कीमतें क्रमश: 60 और 58 रुपये प्रति किलो रह गई थी। लेकिन गुरुवार को आरएसएस-4 और आरएसएस-5 के भाव क्रमश: 65 और 64 रुपये प्रति किलो हो गए।रबर व्यापारी सुभाष जैन ने बताया कि बारिश का दौर थमते ही रबर का उत्पादन शुरू हो जाता है। प्राकृतिक रबर का 90 प्रतिशत उत्पादन केरल राज्य में होता है। जबकि सबसे ज्यादा खपत चीन में होती है। वहां भी आर्थिक मंदी का असर देखा जा रहा है। विदेशी बाजारों में भी पिछले पांच महीने से रबर की कीमतों में मंदे का रुख बना हुआ है। इन हालातों में अभी इसकी कीमतों में सुधार के आसार नहीं हैं। (Business Bhaskar....R S Rana)

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