नई दिल्ली December 26, 2008
सरकार 31 दिसंबर के बाद भी चीनी मिलों को खाद्य मंत्रालय से बगैर अनुमति के चीनी निर्यात की अनुमति दे सकती है।
पहले केंद्र सरकार ने खाद्य मंत्रालय से बगैर अनुमति के चीनी निर्यात की अवधि सितंबर से बढ़ा कर दिसंबर कर दी थी। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार इस अवधि को और बढ़ा सकती है, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ऐसा संभव है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस सीजन में चीनी का ज्यादा निर्यात नहीं हो रहा है। पिछले साल जुलाई में केंद्र सरकार ने चीनी निर्यात के लिए खाद्य मंत्रालय से पूर्व अनुमति लेने की अनिवार्यता 2007-08 सीजन के अंत तक (अक्टूबर से सितंबर) के लिए ओपन जनरल लाइसेंस के तहत समाप्त कर दिया था।इससे चीनी उद्योग को अपना बचा भंडार विदेशी बाजारों में बेचने में मदद मिलती। रिलीज ऑर्डर प्रणाली के तहत मिलों और कारोबारियों को चीनी का निर्यात करने से पहले खाद्य मंत्रालय से पूर्व अनुमति लेनी आवश्यक होती है। विशेषज्ञों ने कहा कि सरकार बिना पूर्व अनुमति लिए चीनी निर्यात की अवधि को बढ़ा सकती है, क्योंकि देश में 1.1 करोड़ टन चीनी का भंडार है। इस वजह से निर्यात नियंत्रित करने की कोई जरूरत नहीं है। औद्योगिक आकलन के अनुसार, चालू सीजन में चीनी निर्यात में केवल 10 से 15 लाख टन की कमी के आसार हैं। पिछले सीजन में 45 से 50 लाख टन लदाई किए जाने का अनुमान है। चालू सीजन में कम उत्पादन अनुमान से भारत का चीनी निर्यात प्रभावित हो सकता है। सरकार के ताजे आकलन के मुताबिक, 2.05 करोड़ टन चीनी का निर्यात हो सकता है। पिछले सीजन में 2.65 करोड़ टन का निर्यात किया गया था। घरेलू खपत के लिए देश में सालाना लगभग 2 करोड़ टन चीनी की जरूरत होती है। (BS Hindi)
28 दिसंबर 2008
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