30 दिसंबर 2008
कम उत्पादन के बावजूद अरहर एक माह में बीस फीसदी सस्ती
अरहर की आवक बढ़ने और मिलों के साथ-साथ स्टॉकिस्टों की मांग कमजोर होने से दिसंबर महीने में भाव में करीब 375 से 460 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। चालू सीजन में अरहर की पैदावार पिछले वर्ष के मुकाबले कम हो सकती है, इसके बावजूद आगामी दिनों में मौजूदा भावों में 200 से 250 रुपये प्रति क्विंटल की और गिरावट आने की संभावना है। महाराष्ट्र में जिंसों पर स्टॉक लिमिट लगी हुई है जिसकी वजह से मिलों के साथ-साथ स्टॉकिस्टों की मांग कमजोर रहेगी। उधर बर्मा में अरहर की नई फसल की आवक शुरू हो गई है। इसलिए आगामी दिनों में बर्मा लेमन तुअर की बिकवाली का भी दबाव रहेगा। बाजार में धन की तंगी के कारण भी स्टॉकिस्टों की खरीद सीमित ही रहने की उम्मीद है। अरहर के व्यापारी सुनील बंदेवार ने बताया कि महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश की मंडियों में अरहर की दैनिक आवक बढ़कर 70 से 75 हजार बोरियों की हो गई है। नए माल में नमी की मात्रा अधिक होने के कारण मिलों की खरीद कमजोर है। मकर सक्रांति के बाद उत्पादक राज्यों में इसकी दैनिक आवक बढ़कर सवा से डेढ़ लाख बोरियों की हो जाएगी। महाराष्ट्र में स्टॉक लिमिट लगी होने के कारण मिलों के साथ ही स्टॉकिस्टों की खरीद भी कमजोर रहेगी। ऐसे में जनवरी महीने में घरेलू बाजारों में अरहर के मौजूदा भावों में और भी 200 से 250 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ सकती है।कर्नाटक व आंध्रप्रदेश की मंडियों में पिछले सप्ताह के अंत तक नई अरहर के भाव घटकर 2650 से 2700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। दलहन के आयातक संतोष उपाध्याय ने बताया कि बर्मा में नई फसल की आवक शुरू हो गई है। ऊंचे भावों को देखते हुए बर्मा से बिकवाली का दबाव बढ़ रहा है। सप्ताहांत तक बर्मा की लेमन अरहर के भाव मुंबई पहुंच 2411 रुपये प्रति क्विंटल रह गए जबकि जनवरी-फरवरी शिपमेंट के सौदे 2340-2350 रुपये प्रति क्विंटल बोले जा रहे हैं। अकोला के दलहन व्यापारी विजेंद्र गोयल ने बताया कि महाराष्ट्र की मंडियों में सप्ताहांत तक अरहर के भाव घटकर 2625 से 2650 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। जनवरी महीने में आवक का दबाव बनने पर मंडियों में अरहर के भाव घटकर 2400 रुपये प्रति क्विंटल बन सकते हैं। केंद्र सरकार द्वारा जारी अग्रिम अनुमान के अनुसार चालू सीजन में देश में अरहर की पैदावार 23.7 लाख टन होने की उम्मीद है। पिछले वर्ष इसकी पैदावार 30.9 लाख टन की हुई थी। (Business Bhaskar....R S Rana)
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